वाराणसी के वनों में कभी एक सुवर्ण मृग रहता था। उसकी आँखों रत्न-सी चमकीली ; सींग रजत की कांति लिए हुए तथा उसका शरीर अन्य हिरणों से अधिक बड़ा और सुंदर था। वह पाँच सौ मृगों का राजा था और उसे निग्रोधराज के नाम से पुकारा जाता था। उसी वन में उसी के सदृश एक और हिरण रहता था। वह …
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संत भैंसा और नटखट बंदर की कथा – जातक कथा!!
हिमवंत के वन में कभी एक जंगली भैंसा रहता था। कीचड़ से सना, काला और बदबूदार। किंतु वह एक शीलवान भैंसा था। उसी वन में एक नटखट बंदर भी रहा करता था। शरारत करने में उसे बहुत आनंद आता था। मगर उससे भी अधिक आनंद उसे दूसरों को चिढ़ाने और परेशान करने में आता था। अत: स्वभावत: वह भैंसा को …
Read More »अविवेक का मूल्य!
एक गांव में उज्वलक नाम का बढ़ई रहता था । वह बहुत गरीब था । ग़रीबी से तंग आकर वह गांव छो़ड़कर दूसरे गांव के लिये चल पड़ा । रास्ते में घना जंगल पड़ता था । वहां उसने देखा कि एक ऊंटनी प्रसवपीड़ा से तड़फड़ा रही है । ऊँटनी ने जब बच्चा दिया तो वह उँट के बच्चे और ऊँटनी …
Read More »सीलवा हाथी और लोभी मित्र की कथा- जातक कथा !
कभी हिमालय के घने वनों में एक हाथी रहता था। उसका शरीर चांदी की तरह चमकीला और सफेद था। उसकी आँखें हीरे की तरह चमकदार थीं। उसकी सूंड सुहागा लगे सोने के समान कांतिमय थी। उसके चारों पैर तो मानो लाख के बने हुए थे। वह अस्सी हज़ार गजों का राजा भी था।वन में विचरण करते हुए एक दिन सीलवा …
Read More »दो मछलियों और एक मेंढक की कथा !!
एक तालाब में दो मछ़लियाँ रहती थीं । एक थी शतबुद्धि (सौ बुद्धियों वाली), दूसरी थी सहस्त्रबुद्धि (हजार बुद्धियों वाली) । उसी तालाब में एक मेंढक भी रहता था । उसका नाम था एकबुद्धि । उसके पास एक ही बुद्धि थी । इसलिये उसे बुद्धि पर अभिमान नहीं था । शतबुद्धि और सहस्त्रबुद्धि को अपनी चतुराई पर बड़ा अभिमान था।एक …
Read More »रोमक कबूतर की कथा – जातक कथा !!
हिमालय पर्वत की किसी कंदरा में कभी रोमक नाम का एक कपोत रहता था। शीलवान्, गुणवान् और अतिमान वह सैकडों कपोतों का राजा भी था। उस पहाड़ के निकट ही एक सँयासी की कुटिया थी। रोमक प्राय: उस सँयासी के पास जाता और उसके प्रवचन का आनन्द उठाया करता था। एक दिन वह सँयासी अपनी उस कुटिया को छोड़ किसी दूसरी …
Read More »टिटिहरी का जोडा़ और समुद्र का अभिमान!!
समुद्रतट के एक भाग में एक टिटिहरी का जोडा़ रहता था । अंडे देने से पहले टिटिहरी ने अपने पति को किसी सुरक्षित प्रदेश की खोज करने के लिये कहा । टिटिहरे ने कहा – “यहां सभी स्थान पर्याप्त सुरक्षित हैं, तू चिन्ता न कर ।”टिटिहरी – “समुद्र में जब ज्वार आता है तो उसकी लहरें मतवाले हाथी को भी …
Read More »सबकी सोच एक जैसी – अकबर और बीरबल की कहानियाँ!!
दरबार की कार्यवाही चल रही थी। सभी दरबारी एक ऐसे प्रश्न पर विचार कर रहे थे जो राज-काज चलाने की दृष्टि से बेहद अहम न था। सभी एक-एक कर अपनी राय दे रहे थे। बादशाह दरबार में बैठे यह महसूस कर रहे थे कि सबकी राय अलग है। उन्हें आश्चर्य हुआ कि सभी एक जैसे क्यों नहीं सोचते! तब बादशाह …
Read More »रस्सी की गांठ बुद्ध कथा!!
ये कहकर वे रस्सी के दोनों छोरों को पकड़ कर खींचने लगे। शिष्य ने उन्हें रोकते हुए कहा, “तथागत! ये आप क्या कर रहे हैं। इस तरह तो खुलने के बजाय गांठे और कस जायेंगी। तब इन्हें खोलना और कठिन हो जायेगा।” “तो तुम ही बताओ कि इस रस्सी की गांठों को कैसे खोला जाये?” बुद्ध ने पूछा। महात्मा बुद्ध …
Read More »दो सिर वाला पक्षी!!
एक तालाब में भारण्ड नाम का एक विचित्र पक्षी रहता था । इसके मुख दो थे, किन्तु पेट एक ही था । एक दिन समुद्र के किनारे घूमते हुए उसे एक अमृतसमान मधुर फल मिला । यह फल समुद्र की लहरों ने किनारे पर फैंक दिया था । उसे खाते हुए एक मुख बोला—“ओः, कितना मीठा है यह फल ! …
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