इस धरा का इस धरा पे,सब धरा रह जायेगा,भज गोविन्दम् मूढ़मते,हरि सुमिरन काम ही आयेगा,इस धरा का ————- झूठे बंधन झूठे रिश्ते,झूठी माया नगरी में,साँस टूटी सब रिश्ता टूटा,कोई काम न आयेगा,इस धरा का—- ——— पंचतत्व की कंचन काया,मिट्टी होनी है इकदिन,मुट्ठी बांधे आया जग में,तू हाँथ पसारे जायेगा,इस धरा का————- हरि नाम कलिकाल कल्पतरु,भर ले झोली सुमिरन से,चार लाखि …
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