जाकी अंग-अंग बाज़ सामानी प्रभु जी ! तुम धनवान हम मुरा जैसे चितवाट चंद्रा चकोरा प्रभु जी ! तुम . हम बाटी जाकी ज्योत बारे दिन राती प्रभु जी ! तुम मोटी हम धागा जैसे सोने मे मिलत सुहागा प्रभु जी ! तुम स्वामी हम दासा ऐसी भक्ति कर रे डासा प्रभु जी ! तुम चंदन हम पानी ज़की अंग-अंग …
Read More »