हमारे गुरु मिले ब्रम्हज्ञानी, पाई अमर निशानी । गुरु मिले ब्रम्हज्ञानी हमारे गुरु मिले ब्रम्हज्ञानी काग पलट गुरु हंसा किन्हे, दीन्हि नाम निशानी । हंसा पहुंचे सुख-सागर पर, मुक्ति भरे जहाँ पानी ॥ गुरु मिले ब्रम्हज्ञानी, हमारे गुरु मिले ब्रम्हज्ञानी ॥ जल विच कुम्भ,कुम्भ विच जल है, बाहर भीतर पानी । विकस्यो कुम्भ जल जल ही समाना, यह गति विरले …
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जय संतोषी माँ
यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ, मत पूछो कहाँ-कहाँ है सँतोषी माँ ! अपनी सँतोषी माँ, अपनी सँतोषी माँ… जल में भी थल में भी, चल में अचल में भी, अतल वितल में भी माँ ! अपनी सँतोषी माँ, अपनी सँतोषी माँ… बड़ी अनोखी चमत्कारिणी, ये अपनी माई राई को पर्वत कर सकती, पर्वत को राई द्धार खुला दरबार खुला है, आओ …
Read More »कर्मो का फल तो बन्दे तुझे भोगना पड़ेगा
कर्मो का फल तो बन्दे तुझे भोगना पड़ेगा। लेकिन यह साईं शक्ति कुछ दर्द कम करेगी, कुछ अपने सर पे लेगी, कुछ तेरे सर रहेगा॥ आया है तू जहाँ से, जायेगा तू वहीँ पर, पूछेगा आसमां जब तुने क्या किया ज़मी पर। तू अभी से सोच रखियो, उसे क्या जवाब देगा॥ औरो को क्या दिया है, औरो से क्या लिया …
Read More »मंदिर का पुजारी
एक बार की बात है कि एक समृद्ध व्यापारी , जो सदैव अपने गुरू से परामर्श करके कुछ न कुछ सुकर्म किया करता था, गुरु से बोला-“गुरुदेव, धनार्जन हेतु मैं अपना गाँव पीछे ज़रूर छोड़ आया हूँ, पर हर समय मुझे लगता रहता है कि वहाँ पर एक ऐसा देवालय बनाया जाये जिसमें देवपूजन के साथ-साथ भोजन की भी व्यवस्था हो,अच्छे संस्कारों से …
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