मुझ को जमीन आसमान मिल गई, साईं क्या मिले सब कुछ मिल गए । मुझ को जमीन आसमान मिल गई, साईं क्या मिले हर ख़ुशी मिल गई ॥ कैसा बेअरुखा था जीवन कैसी बेबसी, रूठ गई थी मुझसे कब की हर ख़ुशी । मेहर हो गए मेहरबान मिल गए, साईं क्या मिले सब कुछ मिल गए ॥ हर जनम में …
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सपनों का घर
किसी शहर से कुछ दूर एक किसान अपने गाँव में रहता था । वैसे तो वह संपन्न था पर फिर भी वो अपने जीवन से खुश नहीं था । एक दिन उसने निश्चय किया कि वो अपनी सारी ज़मीन -जायदाद बेच कर किसी अच्छी जगह बस जाएगा । अगले ही दिन उसने एक जान -पहचान के रियल एस्टेट एजेंट को …
Read More »व्यर्थ है मोह का बंधन
इतना मिल गया, इतना और मिल जाए फिर ऐसा मिलता ही रहें – ऐसे धन, जमीन, मकान, आदर, प्रशंसा, पद, अधिकार आदि की तरह बढ़ती हुई वृत्ति का नाम ‘लोभ’ है । जहां लड़ाई होती है, वहां समय, सम्पत्ति, शक्ति का नाश हो जाता है । तरह – तरह की चिंताएं और आपत्तियां आ जाती हैं । दो मित्रों में …
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