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Tag Archives: kaatha

मरम्मत करो !

Shree raamakriṣṇaadev

एक साधक ने श्री रामकृष्णदेव से पूछा कि : “महाशय, मै इतना प्रभुनाम लेता हूँ, धर्म चर्चा करता हूँ, चिंतन-मनन करता हूँ, फिर भी समय-समय पर मेरे मन में कुभाव क्यों उठते है?” श्री रामकृष्णदेव साधक को समझाते हुए बोले : “एक आदमी ने एक कुत्ता पाला था। वह रात-दिन उसी को लेकर मग्न रहता, कभी उसे गोद में लेता तो कभी …

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शेर और सियार (Lion and wolf)

Lion-and-Wolf

बहुत समय पहले की बात है हिमालय के जंगलों में एक बहुत ताकतवर शेर रहता था . एक दिन उसने बारासिंघे का शिकार किया और खाने के बाद अपनी गुफा को लौटने लगा. अभी उसने चलना शुरू ही किया था कि एक सियार उसके सामने दंडवत करता हुआ उसके गुणगान  करने लगा . उसे देख शेर ने पूछा , ” अरे …

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किसान और चट्टान (Farmer and rock)

Farmer-and-Rock

एक किसान था. वह एक बड़े से खेत में खेती किया करता था. उस खेत के बीचो-बीच पत्थर का एक हिस्सा ज़मीन से ऊपर निकला हुआ था जिससे ठोकर खाकर वह कई बार गिर चुका था और ना जाने कितनी ही बार उससे टकराकर खेती के औजार भी टूट चुके थे. रोजाना की तरह आज भी वह सुबह-सुबह खेती करने …

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समुराई की समस्या

Samuraaii kee samasyaa

एक  समुराई  जिसे   उसके   शौर्य ,इमानदारी  और  सज्जनता  के  लिए  जाना  जाता  था  , एक  जेन सन्यासी से सलाह  लेने  पहुंचा . जब  सन्यासी  ने  ध्यान  पूर्ण   कर  लिया  तब  समुराई  ने  उससे  पूछा , “ मैं  इतना  हीन  क्यों  महसूस  करता  हूँ ? मैंने  कितनी  ही  लड़ाइयाँ  जीती  हैं , कितने  ही  असहाय  लोगों  की  मदद  की  है . …

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सन्यासी की जड़ी-बूटी

Sanyaasee kee jadee-booṭee

बहुत समय पहले की बात है , एक वृद्ध सन्यासी हिमालय की पहाड़ियों में कहीं रहता था. वह बड़ा ज्ञानी था और उसकी बुद्धिमत्ता की ख्याति दूर -दूर तक फैली थी. एक दिन एक औरत उसके पास पहुंची और अपना दुखड़ा रोने लगी , ” बाबा, मेरा पति मुझसे बहुत प्रेम करता था , लेकिन वह जबसे युद्ध से लौटा …

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समस्या का दूसरा पहलु

Samasyaa kaa doosaraa pahalu

पिताजी कोई किताब पढने में व्यस्त थे , पर उनका बेटा बार-बार आता और उल्टे-सीधे सवाल पूछ कर उन्हें डिस्टर्ब कर देता . पिता के समझाने और डांटने का भी उस पर कोई असर नहीं पड़ता. तब उन्होंने सोचा कि अगर बच्चे को किसी और काम में उलझा दिया जाए तो बात बन सकती है. उन्होंने पास ही पड़ी एक पुरानी किताब …

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डरो मत ! स्वामी विवेकानंद प्रेरक प्रसंग

lakshye per dhyan story

स्वामी  विवेकानंद  बचपन  से  ही  निडर  थे , जब  वह  लगभग  8 साल  के  थे  तभी  से  अपने  एक  मित्र  के  यहाँ  खेलने  जाया  करते  थे  उस  मित्र  के  घर  में  एक  चम्पक  पेड़  लगा  हुआ  था . वह  स्वामी  जी  का  पसंदीदा  पेड़  था  और  उन्हें  उसपर  लटक कर  खेलना  बहुत  प्रिय  था . रोज  की  तरह  एक  दिन …

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