को माता को पिता हमारे । कब जनमत हमको तुम देख्यो, हँसी लगत सुन बैन तुम्हारे । कब माखन चोरी कर खायो, कब बांधे महतारी । दुहत कौन सी गइया चारत, बात कही जे भारी । तुम जानत मोहि नंद ढ़िठौना, नंद कहा ते आये ।। हम पूरन अविगत अविनासी, माया ठगनी भुलाये । ये सुन ग्वालिन सब मुस्कानी, हरष …
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