तुम मेरी राखो लाज हरि तुम जानत सब अन्तर्यामी करनी कछु ना करी तुम मेरी राखो लाज हरि अवगुन मोसे बिसरत नाहिं पलछिन घरी घरी सब प्रपंच की पोट बाँधि कै अपने सीस धरी तुम मेरी राखो लाज हरि दारा सुत धन मोह लिये हौं सुध-बुध सब बिसरी सूर पतित को बेगि उबारो अब मोरि नाव भरी तुम मेरी राखो …
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