ज़माने में कहाँ टूटी हुई तस्वीर बनती है । तेरे दरबार में बिगड़ी हुई तकदीर बनती है ॥ तारीफ़ तेरी निकली है दिल से आई है लब पे बन के कवाली, शिर्डी वाले साईं बाबा आया है तेरे दर पे सवाली । लब पे दुआए, आँखों में आंसू, दिल में उमीदें, पर झोली खाली ॥ ओ मेरे साईं देवा, तेरे …
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दुख हरो द्वारिकानाथ
तुम कहाँ छुपे भगवान करो मत देरी | दुःख हरो द्वारकानाथ शरण मैं तेरी || दुख हरो द्वारिकानाथ शरण मैं तेरी || यही सुना है दीनबन्धु तुम सबका दुख हर लेते | जो निराश हैं उनकी झोली आशा से भर देते || अगर सुदामा होता मैं तो दौड़ द्वारका आता | पाँव आँसुओं से धो कर मैं मन की आग …
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