असुर निकंदन भय भंजन कुछ आन करो, पवन तनय संकट मोचन कल्याण करो । भीड़ पड़ी अब भारी हे बजरंगबली, भक्तो के दुःख दूर मेरे हनुमान करो ॥ गयारवे हो रूध्र तुम हो, ले के अवतारी, ज्ञानियो में आप ग्यानी योधा बलशाली । बाल अवस्था में चंचल आप का था मन, सूर्य को तुम खा गए नटखट बड़ा बचपन । …
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पर्वों और त्यौहारों का महत्त्व क्यों ?
पर्व और त्यौहारों में मनुष्य के बीच, मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य को सर्वाधिक महत्त्व प्रदान किया गया है । यहां तक कि उसे पूरे ब्रह्मांड के कल्याण से जोड़ दिया है । इनमें लौकिक कार्यों के साथ ही धार्मिक तत्वों का ऐसा समावेश किया गया है, जिससे हमें न केवल अपने जीवन निर्माण में सहायता मिले, बल्कि समाज …
Read More »भव – भगवान शिव के अवतार (the incarnation of Lord Shiva)
भगवान रुद्र के स्वरूप का नाम भव है । इसी रूप में वे संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त हैं तथा जगद्गुरु के रूप में वेदांत और योग का उपदेश देकर आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं । भगवान रुद्र का यह स्वरूप जगद्गुरु के रूप में वंदनीय है । भव – रुद्र की कृपा के बिना विद्या, योग, ज्ञान, भक्ति …
Read More »नल दमयंती के पूर्व जन्म का वृतांत
पूर्वकाल में आबू पर्वत के समीप एक आहुक नामक भील रहता था । उसकी पत्नी का नाम आहुजा था । वह बड़ी पतिव्रता तथा धर्मशीला थी । वे दंपत्ति बड़े शिवभक्त एवं अतिथि सेवक थे । एक बार भगवान शंकर ने इनकी परीक्षा लेने का विचार किया । वे एक यतिका रूप धारण करके संध्या समय आहुक के दरवाजे पर …
Read More »औढरदानी भगवान शिव
भगवान शिव और उनका नाम समस्त मंगलों का मूल है । वे कल्याण की जन्मभूमि, परम कल्याणमय तथा शांति के आगार हैं । वेद तथा आगमों में भगवान शिव को विशुद्ध ज्ञानस्वरूप बताया गया है । समस्त विद्याओं के मूल स्थान भी भगवान शिव ही हैं । उनका यह दिव्यज्ञान स्वत:संभूत है । ज्ञान, बल, इच्छा और क्रिया – शक्ति …
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