कशी नाथ हे विश्वेश्वर करूँ मैं दर्शन आकार मन के सिंघासन पर आ बैठो, मैं हूँ तुम्हारा चाकर टिका राखी त्रिशूल पर कशी, यह तीरथ धाम तुम्हारा नंगे पाँव गंगा जल के कर आता कावड़िया प्यारा मुक्ति धाम कहते काशी को, आया तुम्हारे दर पर मन के सिंघासन पर आ बैठो, मैं हूँ तुम्हारा चाकर जो भी तुमने दिया मुझे …
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जय शम्भू जय जय शम्बू
काशी वाले देवघर वाले, भोले डमरू धारी खेल तेरे हैं निराले शिव शंकर त्रिपुरारीजयति जयति जय कशी वाले, काशो वाले देवघर वाले खेल हैं तेरे नाथ निराले, जय शम्भू जय जय शम्बू जो भी तेरा ध्यान धरे, उसका सुर नर मौन करे जनम मरण से वो उभरे, भोले चरण तुम्हारे जो धरले दया करो विष पीने वाले, भक्त जानो के …
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