राम भजा सो जीता जग में राम भजा सो जीता रे हाथ सुमिरनी, बगल कतरनी, पढ़े भागवत गीता रे हृदय शुद्ध कीन्हों नहीं तेने, बातों में दिन बीता रे ज्ञान देव की पूजा कीन्ही, हरि सो किया न प्रीता रे धन यौवन यूँ ही जायेगा, अंत समय में रीता रे कहे कबीर काल यूँ मारे जैसे हिरन को चीता रे …
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