एक बार एक भेड़िया, किसी पहाड़ी झरने पर, ऊपर की ओर पानी पी रहा था। उसकी दृष्टि नीचे की ओर पानी पी रहे एक मेमने पर पड़ी। मेमने के नरम माँस को खाने की कल्पना से ही भेड़िए के मुँह में पानी भर आया और वह तरकीब सोचने लगा। उसने मेमने को डाँटते हुए कहा, “अरे ओ मेमने! इस पानी …
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नन्ही लाल मुर्गी
एक नन्ही लाल मुर्गी अपने तीन मित्रों कुत्ता, बत्तख, और बिल्ली के साथ रहती थी। नन्ही लाल मुर्गी बहुत मेहनती थी परन्तु उसके दोस्त आलसी थे। एक दिन उसे एक मक्के का दाना मिला। मेहनती मुर्गी ने अकेले ही दाना बोया। जब उसमें मक्के लगे तो अकेले ही काटा। फिर वो उसे चक्की वाले के पास ले गई। चक्की वाला …
Read More »नेवला और ब्राह्मण की पत्नी की कहानी /The Brahmani & The Mongoose Story In Hindi
बहुत समय पहले एक गांव में देवव्रत नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वह अपनी पत्नी देववधु के साथ रहा करता। शादी के कुछ वर्षों तक उनकी एक समस्या थी कि उनका कोई संतान नहीं था। दोनों संतान प्राप्ति के लिए ईश्वर से रोज प्रार्थना किया करते थे। कुछ सालों बाद उन्हें एक बच्चा हुआ। बच्चे को प्राप्त करते ही …
Read More »भेड़िया और सारस
एक बार एक भेड़िया अपना शिकार खा रहा था। तभी एक हड्डी का टुकड़ा उसके गले में अटक गया। जिससे उसे गले में दर्द होने लगा। भेड़िया दर्द से छटपटाने लगा। उसे साँस लेने में भी कठिनाई होने लगी। कइयों से उसने सहायता माँगी और बदले में पुरस्कार देने का भी वायदा किया पर किसी ने उसकी सहायता नहीं की। …
Read More »बीरबल की खिचड़ी Birbal Ki Khichdi Story
बीरबल की खिचड़ी की कहानी बीरबल की कहानियों में सबसे प्रचलित कहानी है। यह कहानी बड़ों को जितनी पसंद आती है उतनी ही ज्यादा बच्चों को भी पसंद आती है। कई बार तो लोग इस कहानी का शीर्षक एक मुहावरे के तौर पर भी इस्तेमाल करते हैं। तो चलिए जानते हैं बीरबल की खिचड़ी की कहानी। ठंड का समय था …
Read More »जीवन बदलने वाली गुरु की शिक्षा!!
गुरु रामस्वरूप अपने शिष्यों के साथ आश्रम के लिए भिक्षाटन पर निकले थे। वह अपने गुरुकुल में भोजन की व्यवस्था भिक्षा मांग कर ही किया करते थे।जब वह एक कस्बे से दूसरे कस्बे की ओर जा रहे थे, रास्ते में खेत-बधार मिलने लगे। किसी खेत में हरी-भरी फसल खड़ी तो कोई खेत बंजर नजर आ रहा था। ऐसे ही एक …
Read More »सच्ची मित्रता
अजनार के जंगल में दो बलशाली शेर सूरसिंह और सिंहराज रहते थे। सुरसिंह अब बूढ़ा हो चला था। अब वह अधिक शिकार नहीं कर पाता था। सिंहराज उसके लिए शिकार करता और भोजन ला कर देता। सिंहराज जब शिकार पर निकलता , सूरसिंह अकेला हो जाता। डर के मारे कोई पशु उसके पास नहीं जाते थे । आज सुरसिंह को अकेला देख सियार का झुंड …
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