पायो जी मैंने राम रतन धन पायो | वस्तु अमोलिक दी मेरे सतगुरु | कृपा कर अपनायो || जन्म जन्म की पूंजी पाई | जग में सबी खुमायो || खर्च ना खूटे, चोर ना लूटे | दिन दिन बढ़त सवायो || सत की नाव खेवटिया सतगुरु | भवसागर तरवयो || मीरा के प्रभु गिरिधर नगर | हर्ष हर्ष जस गायो …
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