कैसी शोभी बानी आज मेरे यार की, भानु की दुलारी, नन्द के कुमार की । कोई तुलना नहीं है मेरी सरकार की ॥ अति मतवारे नयन मेरे युगल के, करुणा की धारा या सों छल छल छलके । मैं वारि वरि जाऊं कजरे के धार की, कोई तुलना नहीं है मेरी सरकार की ॥ लाड़ली की साडी लाल, काछनी है …
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परंपरा का निर्माण
जीवन के साथ आयुर्वेद का गहरा संबंध होने के कारण पितामह ब्रह्मा ने आयुर्वेद के पठन – पाठन की परंपरा स्थापित की । ब्रह्मा जी ने इस चिकित्सा – शास्त्र को अपने मानसपुत्र दक्ष को और दक्ष ने अश्विनीकुमारों को तथा अश्विनीकुमारों ने देवराज इंद्र को पढ़ाया । इस तरह यह परंपरा आजतक चलती चली आ रही है । यद्यपि …
Read More »जाई जाई राधा रमण हरी बोल
दोहा: अपने हरि को हम दूंढ लीओ, जिन लाल अमोलक लाख मे | हरि के अंग अंग मे नरमी है जितनी, नरमी नाही वैसी माखन मे || छवि देखत ही मै तो झाकी रही, मेरो चित चुरा लीओ झांकन मे | हियरा में बसो, जियरा में बसो, प्यारी-प्यारे बसो दऊ आखन में || लाडली-लाल बसो, श्यामा-श्याम बसो दऊ आंखन में …
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