#रामचरित_मानस_के_कुछ_रोचक_तथ्य____ 1:~लंका में राम जी = 111 दिन रहे। 2:~लंका में सीताजी = 435 दिन रहीं। 3:~मानस में श्लोक संख्या = 27 है। 4:~मानस में चोपाई संख्या = 4608 है। 5:~मानस में दोहा संख्या = 1074 है। 6:~मानस में सोरठा संख्या = 207 है। 7:~मानस में छन्द संख्या = 86 है। 8:~सुग्रीव में बल था = 10000 हाथियों का। 9:~सीता …
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रामायण मे एक घास के तिनके का भी रहस्य है
रामायण मे एक घास के तिनके का भी रहस्य है, और रामायण के अंदर इस टाइप के बहुत से रहस्य छिपे हैं जो हर किसी को नहीं मालूम क्योंकि आज तक किसी ने हमारे ग्रंथो को समझने की कोशिश नहीं की,सिर्फ हमने पढ़ा है देखा है और सुना है,आज मैं आप के समक्ष ऐसा ही एक रहस्य बताने जा रहा …
Read More »आरती कीजे हनुमान लला की
आरती कीजे हनुमान लला की | दुष्ट दलन रघुनाथ कला की || जाके बल से गिरिवर कांपे | रोग दोष जाके निकट ना जांके || अनजनी पुत्र महा बलदाई | संतन के प्रभु सदा सही || दे बीरा रघुनाथ पठाए | लंका जारि सिया सुधि काये || लंका सो कोटि समुद्र की खायी | जात पवन सुत बार ना लायी …
Read More »आ लौट के आजा हनुमान तुम्हे श्री राम बुलाते हैं
आ लौट के आजा हनुमान, तुम्हे श्री राम बुलाते हैं। जानकी के बसे तुममे प्राण, तुम्हे श्री राम बुलाते हैं॥ लंका जला के सब को हरा के तुम्ही खबर सिया की लाये। पर्वत उठा के संजीवन ला के तुमने लखन जी बचाए। हे बजरंगी बलवान, तुम्हे हम याद दिलाते हैं॥ पहले था रावण एक ही धरा पे, जिसको प्रभु ने …
Read More »दुनिया मे देव हजारो हैं
दुनिया मे देव हजारो हैं, बजरंग बली का क्या कहना इनकी शक्ति का क्या कहना, इनकी भक्ति का क्या कहना दुनिया मे देव हजारो हैं, बजरंग बली का क्या कहना ये सात समुन्दर लांग गए और गढ़ लंका मे कूद गए रावन को डराना क्या कहना, लंका को जलाना क्या कहना दुनिया मे देव हजारो हैं बजरंग बली का क्या …
Read More »पूजा करो हनूमान की बोलो राम राम जी
पूजा करो हनूमान की, बोलो राम राम जी पीला पीताम्बर मेरे राम और लक्ष्मण लाल लंगोट हनुमान जी, राम राम केसर तिलक मेरे राम और लक्ष्मण लाल सिन्दूर हनुमान जी, राम राम खट्टे मीठे मेरे राम और लक्ष्मण चूरमे का लड्डू हनुमान जी, राम राम रावण को मारा मेरे राम और लक्ष्मण लंका जलाई हनुमान जी, राम राम सोने …
Read More »वेदवती का रावण को श्राप
राजा धर्मद्वज का कुशध्वज नामक एक धर्मात्मा भाई था। उसका विवाह मालावती नामक युवती से हुआ। धर्मध्वज के भांति कुशध्वज भी भगवती जगदम्बा का अनन्य भक्त था। वह प्रतिदिन उनके मायाबीज मंत्र का जाप करता था। भगवती कि कृपा से कुशध्वज के घर एक सुन्दर कन्या उत्पन्न हुई। वह कन्या महालक्ष्मी का अंश थी। जन्म लेते ही वह कन्या …
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