शायर जिगर मुरादाबादी बहुत ही उदार और दयालु थे। मदद के लिए वह हर समय तैयार रहते थे। अपने इस स्वभाव के चलते वह काफी लोकप्रिय भी हो गए। एक बार वह अपने एक मित्र के साथ कहीं …
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हंसी हर जगह मौजूद है बस हंसने के बहाने ढूंढिए
कन्नड़ लेखक एच. योगनसिंहम् ने महर्षि कर्वे ( भारतरत्न 1958 धोंडो केशव कर्वे) की आत्मकथा ‘लुकिंग-बैक’ का कन्नड़ में अनुवाद किया था। उनसे सिर्फ पत्र व्यवहार द्वारा ही परिचय था पर महर्षि कर्वे से वह कभी मिले नहीं थे। एक बार जब वे पूना गए तो वे महर्षि कर्वे से भेंट करना चाहते थे। उनकी यह मनोकामना पूरी हुई। उनकी …
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