रामू काका अपनी ईमानदारी और नेक स्वाभाव के लिए पूरे गाँव में प्रसिद्द थे। एक बार उन्होंने अपने कुछ मित्रों को खाने पर आमंत्रित किया। वे अक्सर इस तरह इकठ्ठा हुआ करते और साथ मिलकर अपनी पसंद का भोजन बनाते। आज भी सभी मित्र बड़े उत्साह से एक दुसरे से मिले और बातों का दौर चलने लगा। जब बात खाने …
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करुणा सुनो श्याम मेरी
हे श्याम, श्याम, श्याम, श्याम, मेरे श्याम करुणा सुनो श्याम मेरी ॥ करुणा सुनो श्याम मेरी, मैं तो होय रही चेरी तेरी, करुणा सुनो श्याम मेरी ॥ दरसन कारन भयी बावरी, बिरह व्यथा तन घेरी, तेरे कारन जोगन हूँगी, दूंगी नगर बिच फेरी, कुञ्ज बन हेरी हेरी, करुणा सुनो श्याम मेरी ॥ अंग बभूत गले मृग छाला, यूं तन भसम करूंगी, अजहूँ न मिल्या …
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करुणा भरी पुकार सुन अब तो पधारो मोहना .. कानन कुण्डल शीश मुकुट गले बैजंती माल हो . सांवरी सूरत मोहिनी अब तो दिखा दो मोहना .. कृष्ण तुम्हारे द्वार पर आया हूँ मैं अति दीन हूँ . करुणा भरी निगाह से अब तो पधारो मोहना .. पापी हूँ अभागी हूँ दरस का भिखारी हूँ . भवसागर से पार कर …
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