दोहा: बेगी हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो | कौन से संकट मोर गरीब को जो तुम से नहीं जात है टारो || जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करो महाराज | तन मे तुम्हरे शक्ति विराजे, मन भक्ति से भीना | जो जन तुम्हरी शरण मे आये, दुःख दरद हर लीना | महावीर प्रभु हम दुखियन के …
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श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु और श्रीकृष्ण भक्ति
सर्वसम्पद पूर्ण – आनंद दायक आकर्षणसत्तायुक्त चिद्घनस्वरूप परमतत्त्व की ओर आकृष्ट चित्कणस्वरूप जीवसमुदाय की जो आकर्षम क्रिया है, उसी का नाम भक्ति है । यद्यपि यह श्रीकृष्ण – बक्ति जीवमात्र का नित्यसिद्ध स्वरूपगत स्वधर्म है, तथापि जीव की जड़बद्ध – दशा में इसका विशेष परिचय मनुष्य शरीर में ही अधिक प्राप्त होता है । संसार में क्या सभ्य, क्या असभ्य, …
Read More »चैतन्य महाप्रभु, वाल्मीकि और शंकराचार्य के आविर्भाव की कथा
देवगुरु बृहस्पति ने कहा – देवेंद्र ! प्राचीन काल में किसी समय वेदपारंगत विष्णुशर्मा नाम के एक ब्राह्मण थे । वे प्रसन्नचित्त से सर्वदेवमय विष्णु की पूजा करते थे, इसलिए देवतालोक भी उनकी प्रतिष्ठा करते थे, इसलिए देवतालोग भी उनकी प्रतिष्ठा करते थे । वे भिक्षावृत्ति से जीवननिर्वाह करते थे, उनकी स्त्री थी किंतु कोई पुत्र न था । …
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