जब गांधीजी ने 125 वर्ष जीने की इच्छा का सार्वजनिक रूप से त्याग किया9 सितम्बर 1947 को गांधीजी अपना नोआखाली, बिहार और कलकत्ता मिशन पूरा करके दिल्ली लौटे। रेलवे स्टेशन पर उन्हें लेने के लिए सरदार पटेल और राजकुमारी अमृत कौर पहुंचे। गांधीजी ने सरदार पटेल का बुझा हुआ चेहरा देखकर पूछा कि सरदार क्या बात है? तुम गर्दन झुकाकर …
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हम सभी के पास है ये अनमोल बल
एक दिन सेवाग्राम में कुछ पहलवान आ पहुंचे और गांधीजी से अपने दो-चार खेल देख लेने का आग्रह करने लगे। गांधीजी ने कहा, ‘एक तो मेरे पास समय नहीं है, दूसरे जो चीज देश के काम नहीं आती, उसे देखने में मेरा मन नहीं लगता। फिर तुम्हें इनाम चाहिए होगा, वह मैं कहां से दूंगा? मेरे पास तुम्हें देने के …
Read More »देशहित के लिए इकन्नी भी है जरूरी
बात देहरादून की है। जब महात्मा गांधी हरिजन कोष के लिए धन एकत्रित करने के लिए एक सभा में पहुंचे। सभा का आयोजन महिलाओं ने किया था। उन्होंने दो हजार रुपये के थैली भी गांधीजी को भेंट स्वरूप दी। किसी ने आभूषण तो किसी ने कुछ और धन हरिजन कोष के लिए दिया। चारों तरफ शोर था। उस शोर में …
Read More »गांधीजी को यूं ही नहीं कहते हैं महात्मा
महात्मा गांधी जी छुआछूत के खिलाफ थे। एक बार उन्होंने अपने आश्रम में दलित और सवर्ण के विवाह की अनुमति दी। हालांकि उस समय भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की अगुआई कर रही कांग्रेस गांधी जी द्वारा दलितों के सामाजिक उत्थान हेतु चलाये गये इन कदमों से सहमति नहीं रखती थी क्योंकि उसका मानना था कि ‘सामाजिक सुधार’ को ‘स्वतंत्रता आन्दोलन’ …
Read More »यह है आत्मा का भोजन
बात उस समय की है जब महात्मा गांधी वकालत करते थे। वह नियमित प्रार्थना में हिस्सा लेते थे। एक बार एक वकील ने उनसे पूछा, आप प्रार्थना में जितना समय व्यतीत करते हैं, अगर उतना ही समय देश की सेवा में लगाया होता, तो आप अभी तक देश की कितनी सेवा कर चुके होते। गांधीजी ने गंभीर हो गए और …
Read More »बापू से जानिए अहिंसा और कायरता में अंतर
महात्मा गांधी जी के आश्रम में लड़कियां भी रहती थीं। एक दिन वे लौट रही थीं। रास्ते में कुछ लड़के उन्हें परेशान करने लगे। लड़कियां घबरा गईं और भागती हुईं आश्रम पहुंची। उन्होंने बापू को सारी बात बताई। बापू बोले, ‘तुम भाग क्यों आईं? हिम्मत से वहीं ठहरना था और उन लड़कों को दो-चार चपत लगानी चाहिए थी।’ यह सुनकर …
Read More »हंसी की फुहार में भीगने वाले, कभी नहीं होते निराश
भीनी मुस्कान से भरा चेहरा, हर व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता रखता है। और यदि यह भीनी हंसी के ठहाकों में तब्दील हो जाए तो आपके पाचन तंत्र में घट रही प्रक्रियाओं को तेज कर ही देती है। हास्य रस की चाशनी में डूबे व्यक्ति कभी भी तनाव और और मानसिक बीमारियों के शिकार नहीं होते हैं। …
Read More »बस चले तो मैं सभी विचारवान व्यक्तियों को सफाई में लगा दूं
महात्मा गांधी की ख्याति न केवल भारत बल्कि संपूर्ण विश्व में है। वह जहां भी जाते थे लोग उनका बहुत स्वागत सत्कार करते थे और यही आलम भारत के विभिन्न शहरों और गांवो में भी था। एक बार पत्रकारों की गोष्ठी में बापू राजनीतिक प्रसंगो पर उत्तर दे रहे थे। उसी समय हास्य-विनोद की मुद्रा में एक पत्रकार ने बापू …
Read More »जानिए महात्मा गांधी की नजर में धर्म का अर्थ
एक बार महामना मदनमोहन मालवीय, महात्मा गांधी व कुछ अन्य लोग धर्म पर चर्चा कर रहे थे। चर्चा के दौरान मालवीय जी ने गांधीजी से पूछा, ‘बापू आपकी दृष्टि में धर्म क्या है?’ तब गांधीजी बोले, मेरी दृष्टि से धर्म का अर्थ कर्तव्य है। समाज के हर व्यक्ति का अलग धर्म है। सैनिक का धर्म अपने राष्ट्र व समाज की …
Read More »महात्मा गांधी जब साइकिल से पहुंचे सभास्थल
महात्मा गांधी समय के बड़े पाबंद थे। एक बार उन्हें एक सभा में भाषण देने का निमंत्रण मिला। निमंत्रण देने वाले सज्जन ने ठीक साढ़े तीन बजे गांधी जी को लेने के लिए आने का वादा किया। अगले दिन अपनी आदत के अनुसार गांधी जी ठीक साढ़े तीन बजे तैयार हो गए, पर कोई उन्हें लेने के लिए नहीं आया। …
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