बहुत समय पहले बिले नामक एक विद्यार्थी था। उसकी खासियत थी कि वह खेलने के समय दिल लगाकर खेलता और पढ़ने के समय एकाग्रचित्त होकर पढ़ता। बिले साहसी था, अपने इसी गुण के कारण वह वृक्षों पर चढ़ जाता। यह सब कुछ देखकर उसके दादाजी को भय लगता। कहीं बिले उन वृक्षों से गिर न जाए। बिले का दादाजी मना …
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दूध में चमेली के फूल की तरह रहे गुरु नानक
एक बार गुरु नानक देव मुल्तान पहुंचे। वहां पहले ही अनेक संत धर्म प्रचार में लगे हुए थे। एक संत ने अपने शिष्य के हाथ में दूध से भरा हुआ एक कटोरा गुरु नानक देव को भेजा। गुरु नानक देव उठे, बाग से चमेली का एक फूल तोड़ा और दूध पर धीरे से टिका दिया। फिर शिष्य को कहा, जाओ …
Read More »जब पीरों को बताया, ‘संत कौन होते हैं?’
एक बार सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी मुलतान की यात्रा पर गए। जब मुलतान पहुंचे तो पीरों के बाबा ने दूध से भरा कटोरा भेजा। यह एक तरह का संदेश था कि मुलतान में बहुत से पीर हैं। वह यहां नहीं रहें। लेकिन बदले में गुरु नानक जी ने उनको बगली का फूल भिजवाया। इसका अर्थ …
Read More »मुझे मिल गया मान का मीट के दुनिया क्या जाने
मुझे मिल गया मान का मीट के दुनिया क्या जाने क्या जाने कोई क्या जाने (2) मुझे मिल गया(पॉज़) हो मुझे मिल गया मान का मीट के दुनिया क्या जानेमुझे लगी श्याम संग प्रीत. जब से हैं ओधी श्याम चुनरिया (2) लोग कहे में भाई बावारिया (2) ये कैसी… ये कैसी पागल प्रीत के दुनिया क्या जाने. मुझे मिल गया …
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