प्रभु मेरे मन को बना दे शिवाला, तेरे नाम की मैं जपूं रोज माला । अब तो मनो कामना है यह मेरी, जिधर देखूं नज़र आए डमरू वाला ॥ कहीं और क्यूँ ढूँढने तुझ को जाऊं, प्रभु मन के भीतर ही मैं तुझ को पाऊं । यह मन का शिवाला हो सब से निराला, जिधर देखूं नज़र आए डमरू वाला …
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