रामायण में आज जिन अगत्स्य मुनि की चर्चा हुई है, यदि उनके कार्य ही आप याद रखें तो फेक आर्य-द्रविड़ थ्योरी को आप काट सकते हैं:- १) अगत्स्य मुनि ने ही उत्तर भारत और दक्षिण भारत को जोड़ा। अर्थात भारत को अपने ज्ञान व कर्म से एक सूत्र में पिरोया। ब्रिटिशर्स व मार्क्सवदियों के झूठ की तरह उत्तर-दक्षिण में कोई …
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जनमेजय का “सर्प मेघ यज्ञ
एक बार राजा परीक्षित किसी तपस्वी ऋषि का अपमान कर देते हैं। ऋषिवर क्रोधित हो उन्हें सर्प दंश से मृत्यु का श्राप दे देते हैं बहुत सावधानियां रखने के बावजूद ऋषि वाणी अनुसार एक दिन फूलों की टोकरी में कीड़े के रूप में छुपे तक्षक नाग के काटने से परीक्षित की मृत्यु हो जाती है। जब राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय (पांडव वंश के …
Read More »काम का नजरिया बदलें, खुशियां रहेंगी हमेशा साथ
बात पुरानी है लेकिन है रोचक। एक बार एक मुनि तीर्थ यात्रा पर निकले, रास्ते में एक गांव आया। मुनि बहुत थक चुके थे। उन्होंने गांव में ही एक खेत के नजदीक बरगद के पेड़ के नीचे शरण ली। वहीं कुछ मजदूर पत्थर से खंभे बना रहे थे। मुनि ने पूछा, ‘यह क्या बन रहा है?’ एक मजदूर ने कहा, …
Read More »भगवान शिव का सुरेश्वरावतार
व्याघ्रपाद मुनि के पुत्र का नाम था उपमन्यु । उन्होंने पूर्वजन्म में ही सिद्धि प्राप्त कर ली थी और वर्तमान जन्म में मुनिकुमार होकर प्रकट हुए थे । ये शैशवावस्था से ही अपनी माता के साथ अपने मामा के साथ अपने मामा के घर में रहते थे और दैववश दरिद्र थे । एक दिन उन्होंने अपनी माता से पीने के …
Read More »कपाली – भगवान शिव के अवतार
शैवागम के अनुसार दसवें रुद्र का नाम कपाली है । पद्मपुराण के अनुसार एक बार भगवान कपालीब्रह्मा के यज्ञ में कपाल धारण करके गए, जिसके कारण उन्हें यज्ञ के प्रवेश द्वार पर ही रोक दिया गया । उसके बाद भगवान कपाली रुद्र ने अपने अनंत प्रभाव का दर्शम कराया । फिर सब लोगों ने उनसे क्षमा मांगी और यज्ञ में …
Read More »मुनिवर गौतमद्वारा कृतघ्न ब्राह्मणों को शाप
एक बार इंद्र ने लगातार पंद्रह वर्षों तक पृथ्वी पर वर्षा नहीं की । इस अनावृष्टि के कारण घोर दुर्भिक्ष पड़ गया । सभी मानव क्षुब्धा तृषा से पीड़ित हो एक दूसरे को खाने के लिए उद्यत थे । ऐसी बुरी स्थिति में कुछ ब्राह्मणों ने एकत्र होकर यह विचार किया कि ‘गौतम जी तपस्या के बड़े धनी हैं । …
Read More »वेदमालिको भगवत्प्राप्ति
प्राचीन काल की बात है । रैवत – मंवतर में वेदमालि नाम से प्रसिद्ध एक ब्राह्मण रहते थे, जो वेदों और वेदांगों के पारदर्शी विद्वान थे । उनके मन में संपूर्ण प्राणियों के प्रति दया भरी हुई थी । वे सदा भगवान की पूजा में लगे रहते थे, किंतु आगे चलकर वे स्त्री, पुत्र और मित्रों के लिए धनोपार्जन करने …
Read More »नारद जी को विष्णु माया का दर्शन
राजा युधिष्ठिर ने पूछा – भगवन् ! यह विष्णु भगवान की माया किस प्रकार की है ? जो इस चराचर जगत को व्यामोहित करती है । भगवान श्रीकृष्ण ने कहा – महाराज ! किसी समय नारद मुनि श्वेतद्वीप में नारायण का दर्शन करने के लिये गये । वहां श्रीनारायण का दर्शन कर और उन्हें प्रसन्न मुद्रा में देखकर उनसे जिज्ञासा …
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