पूर्वकाल में धुंधु नाम का एक राक्षस हुआ था । वह ब्रह्मा से वरदान पाकर देवताओं, दानवों, दैत्यों, नागों, गंधर्वों और राक्षसों के द्वारा अवध्य हो गया था तथा उसने तीनों लोकों को जीतकर अपने अधीन कर लिया था । वह अहंकार का पुतला था, अत: सदा अमर्ष में भरा रहता और सदा सबको सताया करता था । अंत में …
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पाण्डव अर्जुन और कृष्ण मैत्री
महाभारत में पाण्डव विजयी हुए । छावनी के पास पहुंचने पर श्रीकृष्णने अर्जुन से कहा कि ‘हे भरतश्रेष्ठ ! तू अपने गाण्डीव धनुष और दोनों अक्षय भाथों को लेकर पहले रथ से नीचे उतर जा । मैं पीछे उतरूंगा, इसी में तेरा कल्याण है ।’ यह आज नयी बात थी, परंतु अर्जुन भगवान के आज्ञानुसार नीचे उतर गये, तब …
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