ओह्ह सुन्न फ़रियाद पीरा देया पीरा, होर आख सुन्नावा कीनू तेन जहय मैनू होर ना कोई, ते मैं जहे लाख तेनु प्रथम गुरा जी को वंदना , द्वित्ये आध गणेश तृत्य सिमरिए शारदा, मेरे कंठ करो प्रवेश ‘ गणपति गणेश मनायो मोरी देवा जय जय तेरी जय हो गणेश किस जननी ने तुझे जनम देयो है, किस ने देयो उपदेश …
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चाणक्य नीति : दसवां अध्याय (Chanakya Niti: tenth chapter)
जिसके पास धन नहीं है वो गरीब नहीं है, वह तो असल में रहीस है, यदि उसके पास विद्या है. लेकिन जिसके पास विद्या नहीं है वह तो सब प्रकार से निर्धन है. हम अपना हर कदम फूक फूक कर रखे. हम छाना हुआ जल पिए. हम वही बात बोले जो शास्त्र सम्मत है. हम वही काम करे जिसके बारे …
Read More »बंद मुट्ठी – खुली मुट्ठी(Closed fist – Open Fist)
एक आदमी के दो पुत्र थे राम और श्याम। दोनों थे तो सगे भाई पर एक दुसरे के बिलकुल विपरीत , जहाँ राम बहुत कंजूस था वहीँ श्याम को फिजूलखर्ची की आदत थी। दोनों की पत्नियां भी उनकी इस आदत से परेशान थीं। घरवालों ने दोनों को समझाने के बहुत प्रयास किये पर ना राम अपनी कंजूसी छोड़ता और ना …
Read More »अंगना पधारो महारानी मोरी शारदा भवानी
अंगना पधारो महारानी मोरी शारदा भवानी शारदा भवानी मोरी शारदा भवानी करदो कृपा महारानी मोरी शारदा भवानी अंगना पधारो… ऊँची पहाड़िया पे मंदिर बनो है मंदिर में मैया को आसान लगो है सान पे बैठी महारानी मोरी शारदा भवानी अंगना पधारो… रोगी को काया दे निर्धन को माया बांझन पे किरपा ललन घर आया मैया बड़ी वरदानी मोरी शारदा भवानी …
Read More »राजा रंतिदेव
भारतवर्ष नररत्नों का भंडार है । किसी भी विषय में लीजिए, इस देश के इतिहास में उच्च – से – उच्च उदाहरण मिल सकते हैं । संकृति नामक राजा के दो पुत्र थे, एक का नाम था गुरु और दूसरे का रंति देव । रंतिदेव बड़े ही प्रतापी राजा हुए । इनकी न्यायशीलता, दयालुता, धर्मपरायणता और त्याग की ख्याति तीनों …
Read More »चीन लिया मेरे भोला सा मान
राधा रमण प्यारो राधा रमण गोकुल का ग्वाला, ब्रिज का बसैया सकियों का मोहन, मा का कन्हैया भक्तो का जीवन, निर्धन का धन… राधा रमण प्यारो राधा रमण यमुना के जल मे, वही श्याम खेले लहरो मे उछाले, मारे झूमेले बिचूरन का भी होवे, मोहन मिलाम.. राधा रमण प्यारो राधा रमण जाकर के डेका, मंदिर के अंदर बैयटा वही बाबा, …
Read More »कभी फ़ुर्सत हो तो जगदंबे, निर्धन के घर भी आ जाना
कभी फ़ुर्सत हो तो जगदंबे, निर्धन के घर भी आ जाना, जो रूखा- सूखा दिया है मा, कभी उसका भोग लगा जाना, ना च्चात्रा बनाया सोने का, ना चुनरी घर मेी तारो जड़ी, ना पेड़ा, बरफी, मेवा है, श्रद्धा से नैन बिच्छाए रखी, ना च्चात्रा बनाया सोने का, ना चुनरी …
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