मान मंदिर की ज्यवटी जगाडो, घाट घाट बसी रे मंदिर मंदिर मूरत तेरी, फिर भी ना दिखे सूरत तेरी यौग बीते ना आई मिलन की पुरानामसी रे द्वार दयाअ का जब तू खोले, पंचम सुर में गूंगा बोले अँधा देखे लंगड़ा चल कर पहुँचे कसी रे पानी पी कर प्याअस बूझौं, नैनों को कैसे समझाओन आँख मिचौली छ्चोड़ो अब मान …
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नवधा भक्ति
प्रथम भगति संतन कर संगा | दूसरि रति मम कथा प्रसंगा || गुर पद पंकज सेवा तीसरि भगति अमान | चौथि भगति मम गुन गन करइ कपट तज गान || मंत्र जाप मम दृढ़ बिस्वासा | पंचम भजन सो बेद प्रकासा || छठ दम सील बिरति बहु करमा | निरत निरंतर सज्जन धर्मा || सातव सम मोहि मय जग देखा …
Read More »मानस से : नवधा भक्ति
प्रथम भगति संतन्ह कर संगा । दूसरि रति मम कथा प्रसंगा ॥ गुर पद पंकज सेवा तीसरि भगति अमान।पंचम भजन सो बेद प्रकासा ॥ चौथि भगति मम गुन गन करइ कपट तजि गान ॥मंत्र जाप मम दृढ़ बिस्वासा । छठ दम सील बिरति बहु करमा । निरत निरंतर सज्जन धरमा ॥ सातवँ सम मोहि मय जग देखा । मोतें संत …
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