‘भैषज्य’ शब्द भेषज शब्द से स्वार्थ में ’अनन्तावसथेतिहभेषजाञ्ञ्य:’ । इस सूत्र से ‘ज्य’ प्रत्यय करने पर सिद्ध होता है । वैद्यक – रत्नमाला के इस वचन से ज्ञात होता है कि भैषज्य एवं भेषज – ये दोनों पर्यायवाची शब्द हैं । ‘भेषज’ शब्द की व्युत्पत्ति दो प्रकार से की जाती है – 1) ‘भिषक वैद्यस्तस्येदम’ इस अर्थ में अण् प्रत्यय …
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हार-जीत का फैसला
बहुत समय पहले की बात है। आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच सोलह दिन तक लगातार शास्त्रार्थ चला। शास्त्रार्थ की निर्णायक थीं मंडन मिश्र की धर्म पत्नी देवी भारती। हार-जीत का निर्णय होना बाकी था, इसी बीच देवी भारती को किसी आवश्यक कार्य से कुछ समय के लिये बाहर जाना पड़ गया। लेकिन जाने से पहले देवी भारती नें …
Read More »आज ही क्यों नहीं ?
एक बार की बात है कि एक शिष्य अपने गुरु का बहुत आदर-सम्मान किया करता था |गुरु भी अपने इस शिष्य से बहुत स्नेह करते थे लेकिन वह शिष्य अपने अध्ययन के प्रति आलसी और स्वभाव से दीर्घसूत्री था |सदा स्वाध्याय से दूर भागने की कोशिश करता तथा आज के काम को कल के लिए छोड़ दिया करता था | अब गुरूजी कुछ …
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