परिचय : भगतो पर जब भी संकट के बादल मंडराते है,माँ की लाल चुनरिया बच्चो की सिर पर ममता की छाया बनकर ढक लेती है | कुछ ऐसे ही भावो को माँ अपने भगतो के लिए कहना चाहती है | पल्लो चुनरी को गेर,ढक कर राखूं चारूं मेर काई कर लेसी ओ सारो संसार देखले रांखू कालजे में भगतां को …
Read More »Tag Archives: Parivaar
साईं तेरे भरोसे ही परिवार हमारा है
साईं तेरे भरोसे ही परिवार हमारा है, पतवार तू माझी तू और तू ही किनारा है। साईं हमें तेरा सहारा है, बस तेरा सहारा है॥ श्रद्धा के सबुरी के तुमने हैं दिए मोती, मध्यम ना कभी होगी विशवास की यह ज्योति। संतान हैं हम तेरी, तू पालनहार है, पतवार तू माझी तू और तू ही किनारा है॥ तेरी दया से …
Read More »बड़ा बनने के लिए बड़ा सोचो
अत्यंत गरीब परिवार का एक बेरोजगार युवक नौकरी की तलाश में किसी दूसरे शहर जाने के लिए रेलगाड़ी से सफ़र कर रहा था | घर में कभी-कभार ही सब्जी बनती थी, इसलिए उसने रास्ते में खाने के लिए सिर्फ रोटीयां ही रखी थी | आधा रास्ता गुजर जाने के बाद उसे भूख लगने लगी, और वह टिफिन में से रोटीयां …
Read More »मजदूर के जूते (Worker’s shoes)
एक बार एक शिक्षक संपन्न परिवार से सम्बन्ध रखने वाले एक युवा शिष्य के साथ कहीं टहलने निकले . उन्होंने देखा की रास्ते में पुराने हो चुके एक जोड़ी जूते उतरे पड़े हैं , जो संभवतः पास के खेत में काम कर रहे गरीब मजदूर के थे जो अब अपना काम ख़त्म कर घर वापस जाने की तयारी कर रहा था . …
Read More »मेरी ख्वाइश (My wishes)
वह प्राइमरी स्कूल की टीचर थी | सुबह उसने बच्चो का टेस्ट लिया था और उनकी कॉपिया जाचने के लिए घर ले आई थी | बच्चो की कॉपिया देखते देखते उसके आंसू बहने लगे | उसका पति वही लेटे TV देख रहा था | उसने रोने का कारण पूछा । टीचर बोली , “सुबह मैंने बच्चो को ‘मेरी सबसे बड़ी …
Read More »श्रीराम भक्त
भगवान श्रीरामचंद्र जी ऐसे शरणागतवत्सल हैं कि जो जीव एक बार भी सच्चे हृदय से उनके शरणागत हो गया, उसके वचन और कर्तव्य की चूक पर फिर कभी दृष्टि न देकर वे केवल उसके ‘हिए’ के निश्चय की ओर ही देखते हैं । वे कतहते हैं कि ‘इस जीवन ने अनन्य गति से मुझको अपना शरण्य निश्चय कर लिया है, …
Read More »शिक्षाप्रद कहानियां – धन का मोह
एक नदी के किनारे एक महात्मा रहते थे। उनके पास दूर-दूर से लोग अपनी समस्याओं का समाधान पाने आते थे। एक बार एक व्यक्ति उनके पास आया और बोला- महाराज! मैं लंबे समय से ईश्वर की भक्ति कर रहा हूं, फिर भी मुझे ईश्वर के दर्शन नहीं होते। कृपया मुझे उनके दर्शन कराइए। महात्मा बोले- तुम्हें इस संसार में कौन …
Read More »दक्षिणा क्यों है महत्त्वपूर्ण
दक्षिणा प्रदान करने वालों के ही आकाश में तारागण के रूप में दिव्य चमकीले चित्र हैं, दक्षिणा देने वाले ही भूलोक में सूर्य की भांति चमकते हैं, दक्षिणा देने वालों को अमरत्व प्राप्त होता है और दक्षिणा देने वाले ही दीर्घायु होकर जीवित रहते हैं । शास्त्रों में दक्षिणारहित यज्ञ को निष्फल बताया गया है । जिस वेदवेत्ता ने हवन …
Read More »भेदभाव का अंत
एक बार की बात है। एक गांव में एक संत रहते थे। लोग उनके पास अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आते थे। वह कठिन से कठिन समस्याओं को पल भर में सुलझा देते थे। एक बार उनका एक भक्त रोते हुए उनके पास पहुंचा और हाथ जोड़कर बोला, महाराज, मेरे परिवार में पर्याप्त सुख है, अपार धन-संपत्ति है, संतान …
Read More »