शरीर कभी एकरूप रहता ही नहीं और सत्ता कभी अनेकरूप होती ही नहीं । शरीर जन्म से पहले भी नहीं था, मरने के बाद भी नहीं रहेगा तथा वर्तमान में भी वह प्रतिक्षण मर रहा है । वास्तव में गर्भ में आते ही शरीर के मरने का क्रम (परिवर्तन) शुरू हो जाता है । बाल्यावस्था मर जाएं तो युवावस्था आ …
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बीज (Story of seed under soil)
मिटटी के नीचे दबा एक बीज अपने खोल में आराम से सो रहा था . उसके बाकी साथी भी अपने अपने खोल में सिमटे पड़े हुए थे . तभी अचानक एक दिन बरसात हुई, जिस्से. मिटटी के ऊपर कुछ पानी इकठ्ठा हो गया और सारे बीज भीग कर सड़ने लगे . वह भी बीज भी तर -बतर हो गया और …
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