फिर भी तू है प्यासा हरी का नाम तो पास है बंदे फिर क्यू छ्चोड़े आशा नदी किनारे खड़ा है पगले फिर भी तू है प्यासा हरी का नाम तो पास है बंदे फिर क्यू छ्चोड़े आशा इश्स जाग की नादिया मे देखो प्रभु का जल है प्यारा च्चल च्चल कल कल निर्मल है जल प्रभु सुमिरन की धारा इश्स …
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गुरु सत्संग है प्राण से प्यारा
इसमे बहेती है अमर्टधारा अमर्टधारा, अमर्टधारा… कितने जन्मों से प्यासा तू कभी संभला और कभी गिरा तू गुरु वाणी ने तुजको पुकारा इसमे बहेती है… छोड़ अहम को जा तू शरण में दल दुखों की गटरी चरण में इन चरनो ने सबको है तारा इनमें बहेती है… ज़हर तेरा वो पीले क्षण में प्रलय हो जाए कर्मों के पल में …
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