नदी किनारे खड़ा है पगले, फिर भी तू है प्यासा हरी का नाम तो पास है बंदे, फिर क्यूँ छ्चोड़े आशा नदी किनारे खड़ा है पगले, फिर भी तू है प्यासा हरी का नाम तो पास है बंदे, फिर क्यूँ छ्चोड़े आशा इस जाग की नादिया में देखो, प्रभु का जल है प्यारा च्चल च्चल कल कल निर्मल है जल, …
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