लोकसंग्रह की पद्धति ठीक तरह से समझ में आ जाएं, इसके लिए एक नियम है, और वह यह है कि जिस प्रकार अज्ञानी पुरुष मन में धन और कीर्ति की अभिलाषा रखकर, स्वार्थ के लिए, पूरी सावधानी के साथ कर्म करता है उसी प्रकार ज्ञानी पुरुष को भी उतनी ही सावधानी के साथ, पर निष्काम बुद्धि से कर्म करना चाहिए …
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