ताटका वन में रात बिता कर महायशस्वी विशवामित्र हंसते हुए मीठे स्वर में श्रीरामचन्द्र जी से बोले- ‘महायशस्वी राजकुमार! तुम्हारा कल्याण हो। ताटका वध के कारण मैं तुम पर बहुत संतुष्ट हूं, अतः बड़ी प्रसन्नता के साथ तुम्हें सब प्रकार के अस्त्र दे रहा हूं।’ ‘इनके प्रभाव से तुम अपने शत्रुओं को- चाहे वे देवता, असुर, गन्धर्व अथवा नाग ही …
Read More »