रघुबर तुमको मेरी लाज सदा सदा मैं शरण तिहारी तुम हो ग़रीब नेवाज रघुबर तुम हो ग़रीब नेवाज रघुबर तुमको मेरी लाज पतित उधारन विरद तिहारो श्रवन न सुनी आवाज हूँ तो पतित पुरातन कहिये पार उतारो जहाज रघुबर पार उतारो जहाज रघुबर … अघ खण्डन दुख भंजन जन के यही तिहारो काज रघुबर यही तिहारो काज तुलसीदास पर किरपा …
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