रंग दे चुनरिया ओ गिरधारी कोई कहे इसे मैली चदरियाकोई कहे इसे पाप गठरिया अपने ही रंग में रंग दे मुरारीरंग दे चुनरिया ओ गिरधारी…… मोह माया में मन भटकाया सुमिरण तेरा न कर पायाप्रभु ये बन्धनखोलो मेरे आया हु चरणों मे तेरेजाऊ कहाँ तज शरण तुम्हारीरंग दे …… ये जीवन धन तुझसे पाया और तुझी से ये स्वर पायातेरी …
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