इतनी शक्ति हमें दे न दाता मन का विशवास कमज़ोर हो ना हम चलें नेक रस्ते पे हमेशा भूलकर भी कोई भूल हो ना हर तरफ ज़ुल्म है बेबसी है सहमा सहमा सा हर आदमी है पाप का बोझ बढ़ता ही जाए जाने कैसे ये धरती थमी है बोझ ममता का तू ये उठा ले तेरी रचना का ये अंत …
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भेजा है बुलावा तूने शेरा वालिए
भेजा है बुलावा, तूने शेरा वालिए ओ मैया तेरे दरबार, में हां तेरे दीदार की मैं आऊंगा कभी न फिर जाऊँगा… शेरावालिये नी माता ज्योता वालिए नी सच्चियाँ ज्योता वालिए, लाटा वालिए तेरे ही दर के हैं हम तो भिखारी, जाएं कहा यह दर छोड़ के, हां छोड़ के । तेरे ही संग बंधी भक्तो ने डोरी, सारे जहां से …
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