नहीं चलाओ बाण व्यंग के ऐह विभीषण ताना ना सेह पाऊं, क्यों तोड़ी है यह माला, तुझे ए लंकापति बतलाऊं मुझ में भी है तुझ में भी है, सब में है समझाऊं ऐ लंका पति विभीषण ले देख मैं तुझ को आज दिखाऊं – जय श्री राम – श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में, देख लो मेरे मन …
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साईं तेरे चरणों की अगर धुल जो मिल जाए
बाबा तेरे चरणों की, साईं तेरे चरणों की । अगर धुल जो मिल जाए, सच कहता हु बस अपनी तक़दीर बदल जाए ॥ सुनते हैं तेरे रहमत दिन रात बरसती हैं । इस दया के सागर से एक बूंद जो मिल जाए ॥ ये मन बड़ा चंचल है इसे कैसे मैं समझाऊं । जितना इसे समझाऊं उतना ही मचल जाए …
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