किसी लक्ष्य की प्राप्ति में श्रद्धा का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। यदि किसी कार्य को श्रद्धा, निष्ठा और विवेक से किया जाए, तो सफलता मिलने में कोई संदेह नहीं रहता। उपनिषदों में कहा गया है, ‘अंतरात्मा का ज्ञान सहज स्फुरित व प्रत्यक्ष होता है और ऐसी अंतरात्मा की क्रिया को ही श्रद्धा कहते हैं। श्रद्धा अपने आपमें सदा अविचल होती …
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