कशी नाथ हे विश्वेश्वर करूँ मैं दर्शन आकार मन के सिंघासन पर आ बैठो, मैं हूँ तुम्हारा चाकर टिका राखी त्रिशूल पर कशी, यह तीरथ धाम तुम्हारा नंगे पाँव गंगा जल के कर आता कावड़िया प्यारा मुक्ति धाम कहते काशी को, आया तुम्हारे दर पर मन के सिंघासन पर आ बैठो, मैं हूँ तुम्हारा चाकर जो भी तुमने दिया मुझे …
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जय शम्भू जय जय शम्बू
काशी वाले देवघर वाले, भोले डमरू धारी खेल तेरे हैं निराले शिव शंकर त्रिपुरारीजयति जयति जय कशी वाले, काशो वाले देवघर वाले खेल हैं तेरे नाथ निराले, जय शम्भू जय जय शम्बू जो भी तेरा ध्यान धरे, उसका सुर नर मौन करे जनम मरण से वो उभरे, भोले चरण तुम्हारे जो धरले दया करो विष पीने वाले, भक्त जानो के …
Read More »शंकर दा घोटा
शंकर दा घोटा – ला घोटा, कुंडे विच सोटा – ला घोटा, शिव दे मस्त मलंग जो भग्तो, ऱज के पींदे भंग जो भग्तो, वड्डा की छोटा – ला घोटा,1. भंग नु रगड़े लाये भगतां, विच बदाम मिलाये भगतां, विच फेर के पोटा – ला घोटा, 2. फिर भगतां ने दुध रलाया, खुल्ला डुल्ला मिट्ठा पाया, पूरा भर के …
Read More »चलो भोले बाबा के द्वारे
चलो भोले बाबा के द्वारे, सब दुःख कटेंगे तुम्हारे, भोले बाबा, भोले बाबा, भोले बाबा, भोले बाबा । चढ़ा एक शिकारी देखो बिल्व वृक्ष पर, करने को वो शिकार, शिव चौदस की पावन वह रात थी । अनजाने में हुआ पहर पूजा संस्कार, हुए बाबा परकट बोले मांगो वरदान । दर्शन कर शिकारी को हो आया वैराग्य ज्ञान, कर बध …
Read More »ऐसी सुबह ना आए, आए ना ऐसी श्याम
शिव है शक्ति, शिव है भक्ति, शिव है मुक्ति धाम शिव है ब्रह्मा, शिव है विष्णु, शिव है मेरा राम ऐसी सुबह ना आए, आए ना ऐसी श्याम जिस दिन जुबा पे मेरी आए ना शिव का नाम ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय मन मंदिर में वास है तेरा, तेरी छवि बसाई प्यासी आत्मा बनके जोगन, तेरी शरण में …
Read More »सुबह सुबह हे भोले करते हैं तेरी पूजा
सुबह सुबह हे भोले करते हैं तेरी पूजा, तेरे सिवा हुआ है ना होगा कोई दूजा । ॐ नमः शिवाय भोले तेरी जटा से बहती है गंगा धारा, सारे जगत के मालिक, तू है पिता हमारा । निर्बल का तू ही बल है, देता है तू सहारा तेरे सिवा जहां में, कोई नहीं हमारा ॥ हे भोले तू है जैसा, …
Read More »सृष्टि तथा सात ऊर्ध्व एवं सात पाताल लोकों का वर्णन
श्रीसूत जी बोले – मुनियो ! अब मैं कल्प के अनुसार सैकड़ों मन्वंतरों के अनुगत ईश्वर संबंधी कालचक्र का वर्णन करता हूं । सृष्टि के पूर्व यह सब अप्रतिज्ञात स्वरूप था । उस समय परम कारण, व्यापक एकमात्र रुद्र ही अवस्थित थे । सर्वव्यापक भगवान ने आत्मस्वरूप में स्थित होकर सर्वप्रथम मन की सृष्टि की । फिर अंहकार …
Read More »शिव और सती
सिव सम को रघुपति ब्रतधारी । बिनु अघ तजी सती असि नारी ।। भगवान शिव और माता सती देवी की असीम महिमा बड़े ही सुंदर ढंग से प्रतिपादित की है । भगवान शिव के लिए है क्योंकि संसार में सब धर्मों का सार, सब तत्त्वों का निचोड़ भगवत्प्रेम ही निश्चय किया गया है । भगवान परब्रह्म में दृढ़ निष्ठा …
Read More »कैसे करें महाशिवरात्री की पूजा
यह व्रत फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को किया जाता है । इसको प्रतिवर्ष करने से यह ‘नित्य’ और किसी कामनापूर्वक करने से ‘काम्य’ होता है । प्रतिपदादि तिथियों के अग्नि आदि अधिपति होते हैं । जिस तिथि का जो स्वामी हो उसका उस तिथि में अर्चन करना अतिशय उत्तम होता है । चतुर्दशी के स्वामी शिव हैं (अथवा शिव की तिथि …
Read More »क्यों मनाते हैं महाशिवरात्रि ?
इस व्रत की दो कथाएं है । एक का सारांश यह है कि एक बार एक धनवान मनुष्य कुसंगवश शिवरात्रि के दिन पूजन करती हुई किसी स्त्री का आभूषण चुरा लेने के अपराध में मार डाला गया, किंतु चोरी की ताक में वह आठ प्रहर भूखा – प्यासा और जागता रहा था, इस कारण स्वत: व्रत हो जाने से …
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