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Tag Archives: shiv

पंचमुख तथा पंचमूर्ति

panchamukh tatha panchamoorti

जिन भगवान शंकर के ऊपर की ओर गजमुक्ता के समान किंचित श्वेत – पीत वर्ण, पूर्व की ओर सुवर्ण के समान पीतवर्ण, दक्षिण की ओर सजल मेघ के समान सघन नीलवर्ण, पश्चिम की और स्फटिक के समान शुब्र उज्जवल वर्ण तथा उत्तर की ओर जपापुष्प या प्रवाल के समान रक्तवर्ण के पांच मुख हैं । जिनके शरीर की प्रभा करोड़ों …

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गणेश जी पर शनि की दृष्टि

Jai Ganesh Bhajan

एक बार कैलाश पर्वत पर, महायोगी सूर्यपुत्र शनैश्चर शंकरनंदन गणेश को देखने के लिए आये । उनका मुख अत्यंत नम्र था, आंखें कुछ मुंदी हुई थीं और मन एकमात्र श्रीकृष्ण में लगा हुआ था, अत: वे बाहर – भीतर श्रीकृष्ण का स्मरण कर रहे थे । वे तप: फल को खाने वाले, तेजस्वी, धधकती हुई अग्नि की शिखा के समान …

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कर्तव्यपरायणता का अद्भुत आदर्श

Jai Lakshmi Ramana Jai Lakshmi Ramana

प्राचीन काल में सर्वसमृद्धिपूर्ण वर्धमान नगर में रूपसेन नाम का एक धर्मात्मा राजा था । एक दिन उसके दरबार में वीरवर नाम का एक गुणी व्यक्ति अपनी पत्नी, कन्या एवं पुत्र के साथ वृत्ति के लिए उपस्थित हुआ । राजा ने उसकी विनयपूर्ण बातों को सुनकर प्रतिदिन एक सहस्त्र स्वर्णमुद्रा का वेतन नियत कर सिंहद्वार के रक्षक के रूप में …

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आल्हा ऊदल की कथा

Bhagwan Shiv Ke liye

ऋषियों ने पूछा – सूतजी महाराज ! आपने महाराज विक्रमादित्य के इतिहास का वर्णन किया । द्वापरयुग के समान उनका शासन धर्म एवं न्यायपूर्ण था और लंबे समय तक इस पृथ्वीपर रहा । महाभाग ! उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने अनेक लीलाएं की थीं । आप उन लीलाओं का हमलोगों से वर्णन कीजिए, क्योंकि आप सर्वज्ञ हैं । ‘भगवान नर …

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शिव और सती

Aakhir Kyo Diya Tha Mata Parvati Ne Story

  सिव सम को रघुपति ब्रतधारी । बिनु अघ तजी सती असि नारी ।। भगवान शिव और माता सती देवी की असीम महिमा बड़े ही सुंदर ढंग से प्रतिपादित की है । भगवान शिव के लिए है क्योंकि संसार में सब धर्मों का सार, सब तत्त्वों का निचोड़ भगवत्प्रेम ही निश्चय किया गया है । भगवान परब्रह्म में दृढ़ निष्ठा …

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कैसे करें महाशिवरात्री की पूजा

Janiye Kya Hai Manes Pooja

यह व्रत फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को किया जाता है । इसको प्रतिवर्ष करने से यह ‘नित्य’ और किसी कामनापूर्वक करने से ‘काम्य’ होता है । प्रतिपदादि तिथियों के अग्नि आदि अधिपति होते हैं । जिस तिथि का जो स्वामी हो उसका उस तिथि में अर्चन करना अतिशय उत्तम होता है । चतुर्दशी के स्वामी शिव हैं (अथवा शिव की तिथि …

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क्यों मनाते हैं महाशिवरात्रि ?

Aakhir Kyo Diya Tha Mata Parvati Ne Story

  इस व्रत की दो कथाएं है । एक का सारांश यह है कि एक बार एक धनवान मनुष्य कुसंगवश शिवरात्रि के दिन पूजन करती हुई किसी स्त्री का आभूषण चुरा लेने के अपराध में मार डाला गया, किंतु चोरी की ताक में वह आठ प्रहर भूखा – प्यासा और जागता रहा था, इस कारण स्वत: व्रत हो जाने से …

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डूबा हुआ शिव मंदिर, वाराणसी

Duba Hua Shiv Mandir

सिंधिया घाट जिसे शिन्दे घाट भी कहते हैं, वाराणसी में मणिकर्णिका घाट के उत्तरी ओर लगा हुआ है. इस घाट से लगा हुआ शिव मंदिर जिसकी खासियत यह है कि यह आंशिक रूप से गंगा नदी के जल में डूबा हुआ है. Wish4me in English sindhiya ghaat jise shinde ghaat bhee kahate hain, vaaraanasee mein manikarnika ghaat ke uttaree or …

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भगवती सती का शिव-प्रेम

bhagavaan bhaaskar kee aaraadhana ka adbhut phal

एक समय की बात थी लीलाधारी परमेश्वर शिव एकान्त में बैठे हुए थे। वहीं सती भी विराजमान थीं। आपस में वार्तालाप के प्रसंग में भगवान् शिव के मुख से सती के श्यामवर्ण को देखकर ‘काली’ यह शब्द निकल गया। ‘काली’ यब शब्द सुनकर सती को महान् दुःख हुआ और कहा—‘महाराज! आपने मेरे कृष्ण वर्ण को देखकर मार्मिक वचन कहा है। …

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शिव और शक्ति

shankar

शिव’ और ‘शक्ति’- ये परम शिव अर्थात् परम तत्त्व के दो रुप हैं। शिव कूटस्थ तत्त्व है और शक्ति परिणामिनी है। विविध वैचित्र्यपूर्ण संसार के रुप में अभिव्यक्त शक्ति का आधार एवं अधिष्ठान शिव है। शिव अव्यक्त, अदृश्य, सर्वगत एवं अचल आत्मा है। शक्ति दृश्य, चल एवं नाम-रुप के द्वारा व्यक्त सत्ता है। शक्ति-नटी शिव के अनन्त, शान्त एवं गम्भीर …

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