एक बार रामानंद जी ने कबीरदास से कहा, श्राद्ध के दिन चल रहे हैं। पितरों का तर्पण करना है। इसलिए पितरों के लिए खीर बनाने का प्रबंध करो।’ कबीरदास जी खीर के लिए दूध लेने चल दिए। उस समय कबीरदास जी की उम्र महज 9 वर्ष थी। कबीर दास ने बाजार से दूध लिया और थोड़े आगे चले ही थे …
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अहोई अष्टमी व्रत पूजन की विधि
यह व्रत कार्तिक लगते ही अष्टमी को किया जाता है। जिस वार को दीपावली होती है, अहोई अष्टमी उससे ठीक सात दिन पूर्व उसी वार को पड़ती है। इस व्रत को वह स्त्रियां ही करती हैं जिनकी संतान होती है। बच्चों की मां दिनभर व्रत रखें। सांयकाल दीवार पर अष्ट कोष्ठक की अहोई की पुतली रंग भरकर बनाएं। उस पुतली …
Read More »अद्भुत है अमरनाथ शिवलिंग (Amazing is the Amarnath Lingam)
अमरनाथ शिवलिंग हिम से निर्मित होता. यह शिवलिंग अन्य शिवलिंगों की भांति सालों भर नहीं रहता है. वर्ष के कुछ महीनों में यहां हिम से स्वयं शिवलिंग का निर्माण होता है. स्वयं हिम से निर्मित शिवलिंग होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहा जाता है. आषाढ़ पूर्णिमा से शिवलिंग का निर्माण होने लगता है जो श्रावण पूर्णिमा के …
Read More »बोलो जी सारे मिल के जयकारे शेरा वाली के
बोलो बोलो जी सारे मिल के जयकारे शेरा वाली के बोलो बोलो जी सारे मिल के जयकारे झंडेवाली के बोलो बोलो जी सारे मिल के जयकारे मेहरावाली के बोलो बोलो जी सारे मिल के जयकारे ज्योतां वाली के मैया का जैकारी ही ध्यानु में लगाया था कटा हुआ सीस माँ ने पल में मिलाया था बोलो बोलो जी सारे मिल …
Read More »साईं तेरे भरोसे ही परिवार हमारा है
साईं तेरे भरोसे ही परिवार हमारा है, पतवार तू माझी तू और तू ही किनारा है। साईं हमें तेरा सहारा है, बस तेरा सहारा है॥ श्रद्धा के सबुरी के तुमने हैं दिए मोती, मध्यम ना कभी होगी विशवास की यह ज्योति। संतान हैं हम तेरी, तू पालनहार है, पतवार तू माझी तू और तू ही किनारा है॥ तेरी दया से …
Read More »मातृ- पितृ भक्त श्रवणकुमार
श्रवणकुमार जाति से वैश्य थे। इनके माता-पिता दोनों अन्धे हो गये थे। बड़ी सावधानी और श्रद्धा से ये उनकीसेवा करते थे और उनकी प्रत्येक इच्छा पूरी करने का प्रयत्न करते थे। इनके माता-पिता की इच्छा तीर्थयात्रा करने की हुई। उन्होंने एक कांवर बनायी और उसमें दोनों को बैठाकर कंधे पर उठाये हुए ये यात्रा करने लगे। ब्रह्माण के लिये तो …
Read More »तुलसीदल का महात्म्य
भगवान शिव ने स्वयं कहा है – ‘‘सब प्रकार के पत्तों और पुष्पों की अपेक्षा तुलसी ही श्रेष्ठ मानी गई है। वह परम मंगलमयी, समस्त कामनाओं को पूर्ण करनेवाली, शुद्ध, श्रीविष्णु को अत्यंत प्रिय तथा ‘वैष्णवी’ नाम धारण करनेवाली है। वह संपूर्ण लोक में श्रेष्ठ, शुभ तथा भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाली है। भगवान श्रीविष्णु ने पूर्वकाल में संपूर्ण लोकों …
Read More »गुरु का महत्त्व क्यों ?
भारतीय संस्कृति में ‘आचार्य देवो भव’ कहकर गुरु को असीम श्रद्धा का पात्र माना गया है । गुरु शब्द में ‘गु’ का अर्थ अंधकार तथा ‘रु’ का दूर करने से लगाया जाता है । अर्थात जो अंधकार को दूर कर सके, वहीं गुरु है । वैसे, हमारे शास्त्रों में गुरु के अनेक अर्थ बताएं गए हैं । गुरु का महत्त्व …
Read More »गुरुदेव बोलो गुरुदेव बोलो
गुरुनाम गाओ गुरुनाम गाओ गुरुदेव मलिक ईश्वर प्रपक आनंदायक दानध निवारक गुरुसंगत ही जीवन सावनरे परमानंद के खोलते हैं द्वारे गुरुदेव बोलो गुरुदेव बोलो प्रेम से बोलो भाव से बोलो श्रद्धा से बोलो भक्ति से बोलो [To English wish4me] Gurunaam gao gurunaam gao Gurudev malik ishwar prapak Anandayak dandh nivarak Gurusangath hi jeevan savanre Paramanand ke kholte hain dware Gurudev …
Read More »आप के कदमो में मेरी ज़िंदगी
फूल श्रद्धा के चड्ड़ने आगाय आप के कदमो में मेरी ज़िंदगी आप की लीला सुनने आगाय फूल श्रद्धा के चड्ड़ने आगाय [To English wish4me] Phool shraddha ke chaddane aagaye Aap ke kadmo mein meri zindagi Aap ki leela sunane aagaye Phool shraddha ke chaddane aagaye
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