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Tag Archives: Shreekriṣṇa

श्रीराधिका जी का उद्धव को उपदेश

Shreeraadhikaa jee kaa uddhav ko upadesh

  गोपियों के अद्भुत प्रेम – प्रवाह में ज्ञानशिरोमणि उद्धव का संपूर्ण ज्ञानभिमान बह गया । विवेक, वैराग्य, विचार, धर्म, नीति, योग, जप और ध्यान आदि संपूर्ण संबल के सहित उसकी ज्ञान नौका गोपियों के प्रेम समुद्र में डूब गयी । उद्धव गोपियों का मोह दूर करने आया था किंतु वह स्वयं ही उनके (दिव्य) मोह में मग्न हो गया …

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भगवान श्रीकृष्ण और भावी संसार

Agar shyam ksunder ka shera na hota

  भरतखण्ड का इतिहास महाभारत की ही शाखा है । महाभारत का अर्थ है महान भारतवर्ष । हमलोग भारतवर्ष को महान देखना चाहते हैं । महाभारत के समय से ही धर्मराज्य की स्थापना के लिये संग्राम जारी है । भगवान श्रीकृष्ण का जिस समय अवतार हुआ, उस समय यह संग्राम जोरों पर था । भगवान श्रीकृष्ण का अवतार एक विशेष …

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श्रीकृष्ण और भावी जगत

Mujhe Shyam Sunder Ki Dulhan Bhajan

मनुष्य को आदि से सुख और शांति की खोज रही है और अंत तक रहेगी । मानव सभ्यता का इतिहास इसी खोज की कथा है । जिस जाति ने इस रहस्य को जितना अधिक समझा वह उतनी ही सभ्य, जितना ही कम समझा उतनी ही असभ्य समझी जाती है । लोग भिन्न भिन्न मार्गों से चले । किसी ने योग …

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क्या है शनि की क्रूर दृष्टि के पीछे की वजह !

shani

शनैश्चर का शरीर- कान्ति इन्द्रनील मणि के समान है। इनके सिरपर स्वर्ण मुकुट गले में माला तथ शरीर पर नीले रंग के वस्त्र सुशोभित हैं। ये गिद्ध पर सवार रहते हैं। हाथों में क्रमशः धनुष, बाण , त्रिशुल और वरमुद्रा धारण करते हैं।शनि भगवान सूर्य तथा छाया (संवर्णा) के पुत्र हैं। ये क्रूर ग्रह माने जाते हैं। इनकी दृष्टि में …

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क्या मरना भी मुहूर्त में ही?

marna

मुहूर्त विज्ञान उपक्रम मे इस बात का उदाहण मिलता है कि यदि मरने का मुहूर्त नहीं बनता था तो वे लोग अपना मरना भी स्थगित कर देते थे। आर्य जाति के गौरवपूर्ण इतिहास ग्रंथ में वर्णन आता है कि महाभारत के संग्राम के समय जब नौ दिन में ही भीष्मजी द्वारा कौरव सेना का संचालन करते हुए पांडवों की आधी …

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द्रौपदी- स्वयंवर की कथा

Draupadee- svaynvar kee kathaa

राजा द्रुपद के मन में यह लालसा थी कि मेरी पुत्री का विवाह किसी-न- किसी प्रकार अर्जुन के साथ हो जाये। परन्तु उन्होनें यह विचार किसी से प्रकट नहीं किया। अर्जुन को पहचानने के लिये उन्होनें एक धनुष बनवाया, जो किसी दूसरे से झुक न सके। इसके अतिरिक्त्त आकाश में ऐसा कृत्रिम यन्त्र टँगवा दिया, जो चक्कर काटता रहता था। …

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कंस वध

kans vadh

भगवान श्री कृष्ण और बलराम ने चाणूर, मुष्टिक, कूट, शल और तोशल—इन पाँचों पहलवानो को मारा। इसके बाद जो बचे वो जान बचाकर भाग गए। उनके भाग जाने पर भगवान श्रीकृष्ण और बलरामजी अपने दोस्त ग्वाल-बालों को खींच-खींचकर उनके साथ भिड़ने और नाच-नाचकर भेरीध्वनि के साथ अपने नूपुरों की झनकार को मिलाकर मल्लक्रीडा—कुश्ती के खेल करने लगे। भगवान श्रीकृष्ण और …

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वीर अभिमन्यु

Veer abhimanyu

कुरुक्षेत्रमें कौरवोंके रथी-महारथियोंसे अपने प्राणोंको दांवपर लगाकर लडते हुए वीरगतिको प्राप्त होनेवाला अभिमन्यु, अर्जुन एवं सुभद्राका पुत्र था । वह अर्जुनके समान ही शूर-वीर था । वह सभी प्रकारके शस्त्र-संचालनमें प्रवीण था । उस बालवीरद्वारा दिखाए गए अद्भुत शौर्यकी तुलना हो ही नहीं सकती  । कौरव-पाण्डवोंके मध्य युद्धके समय द्रोणाचार्य कौरवोंके सेनापति थे । वे पाण्डवोंकी सेनासे निरन्तर पराजित होनेके …

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