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Tag Archives: shreekrshn

अंतिम झांकी

shreekrshn

जब भगवान श्रीकृष्ण जी ने देखा कि समस्त यदुवंशियों का संहार हो चुका है,तब उन्होंने संतोष की सांस ली कि पृथ्वी का बचा-खुचा भार भी उतर गया।अब मेरे अवतार का कार्य पूर्ण हो चुका है। बलराम जी ने भी समुद्रतट पर बैठकर एकाग्र चित्त से परमात्मा का चिंतन करते हुए अपनी आत्मा को आत्मस्वरूप में स्थिर कर लिया और मनुष्य …

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भगवान श्रीकृष्ण

dasha mujh deen kee bhagavan sambhaaloge to kya hoga

श्रीविष्णु भगवान के मुख्य दस अवतारों में श्रीकृष्णावतार को जो महत्त्व प्राप्त है, वह अन्य किसी अवतार को नहीं है । कुछ लोग यह शंका उठाते हैं कि ‘पूर्णकाम’ अजन्मा भगवान अवतार क्यों लेते हैं ? इसका समाधान स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के वचन से ही हो जाता है । पानी में डूबते हुए अनन्यगति बालक को देखकर वत्सल पिता प्रेमविह्वल …

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श्रीकृष्ण की पत्नियों तथा पुत्रों के संक्षेप से नाम निर्देश तथा द्वादश

Who is God?

श्रीकृष्ण की पत्नियों तथा पुत्रों के संक्षेप से नाम निर्देश तथा द्वादश – संग्रामों का संक्षिप्त परिचय अग्निदेव कहते हैं – वसिष्ठ ! महर्षि कश्यप वसुदेव के रूप में अवतीर्ण हुए थे और नारियों में श्रेष्ठ अदिति का देवकी के रूप में आविर्भाव हुआ था । वसुदेव और देवकी से भगवान श्रीकृष्ण का प्रादुर्भाव हुआ । वे बड़े तपस्वी थे …

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योगेश्वर श्रीकृष्ण

Suni Kanha Teri Bansuri

रासलीला तथा अन्यान्य प्रकरणों में श्रीकृष्ण नाम के साथ महर्षि वेदव्यास के द्वारा ‘योगेश्वर’ शब्द का प्रयोग होते हुए देखकर साधारण पाठकों के हृदय में सन्देह उत्पन्न होता है कि इस प्रकार के पुरुष योगेश्वर कैसे हो सकते हैं । विदेशी लोगों ने तो भ्रमवश श्रीकृष्णभगवान को ‘INCARNATION OF LUST’ अर्थात् कामकलाविस्तार का ही अवतार कह दिया है । हमारे …

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मोक्ष संन्यासिनी गोपियां

moksh sanyasini gopiya

  कुछ लोग प्रतिदिन सकामोपासना कर मनवाञ्छित फल चाहते हैं, दूसरे कुछ लोग यज्ञादि के द्वारा स्वर्ग की तथा (कर्म और ज्ञान) योग आदि के द्वारा मुक्ति के लिए पार्थना करते हैं, परंतु हमें तो यदुनंदन श्रीकृष्ण के चरणयुगलों के ध्यान में ही सावधानी के साथ लगे रहने की इच्छा है । हमें उत्तम लोक से, दम से, राजा से, स्वर्ग …

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चक्रपाणि

Chakerpani

  इस अपार पयोधि की अनन्त उत्ताल तरंगों में अनिलानल में, नक्षत्रपूर्ण नीलाकाश में, मधुर ज्योत्स्नामय सुधाकर में, उद्दीप्त प्रखर ज्योतिमान सूर्य में चक्रपाणि का दर्शन हो रहा है । अनन्त सौंदर्य के अधिष्ठातृ देव भगवान कमललोचन शांतरूपेण विराजमान हैं । भू:, भुव:, स्व: आदि सप्तलोक महाप्रभु की एक अंगुली पर भ्रमित चक्रपर घुम रहे हैं । मृत्युलोकवासी अपनी भाषा …

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माधुर्य रस में

maanas se : navadha bhakti

श्रीकृष्ण में निष्ठा, सेवाभाव और असंकोच के साथ ममता एवं लालन भी रहता है । मधुर रस में पांचों रस हैं, जिस प्रकार आकाशादि भूतों के गुण क्रमश: अन्य भूतों से मिलते हुए पृथ्वी में सब गुण मिल जाते हैं, इसी प्रकार मधुर रस में भी सब रसों का समावेश है । रस रूप श्रीकृष्ण की लीलाएं माधुर्य रस में …

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भुवनकोश का संक्षिप्त वर्णन

Bhuvankosh Ka Sanshipt varnan

महाराज युधिष्ठिर ने पूछा – भगवन् ! यह जगत किसमें प्रतिष्ठित है ? कहां से उत्पन्न होता है ? इसका किसमें लय होता है ? इस विश्व का हेतु क्या है ? पृथ्वी पर कितने द्वीप, समुद्र तथा कुलाचल हैं ? पृथ्वी का कितना प्रमाण है ? कितने भुवन हैं ? इन सबका आप वर्णन करें । भगवान श्रीकृष्ण ने …

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नारद जी को विष्णु माया का दर्शन

maanas se : navadha bhakti

राजा युधिष्ठिर ने पूछा – भगवन् ! यह विष्णु भगवान की माया किस प्रकार की है ? जो इस चराचर जगत को व्यामोहित करती है । भगवान श्रीकृष्ण ने कहा – महाराज ! किसी समय नारद मुनि श्वेतद्वीप में नारायण का दर्शन करने के लिये गये । वहां श्रीनारायण का दर्शन कर और उन्हें प्रसन्न मुद्रा में देखकर उनसे जिज्ञासा …

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आदिगुरु श्रीकृष्ण

Adi Guru Shri Krishan

वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् । देवकीपरमानंद कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ।।यह संसार एक बहुत बड़ी पाठशाला है । इसमें अगणित जीव शिक्षा ग्रहण करने के लिये आते हैं, और यथाधिकार निर्दिष्ट काल तक शिक्षा – लाभ कर चले जाते हैं, और फिर कुछ विश्राम के पश्चात् पुन: नये वेशभूषा के साथ इसमें आकर प्रवेश करते हैं । कहने का आशय यह है …

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