गिरधर मेरे मौसम आया, धरती के .शृंगार का, डाल- डाल पर लग गये झूले, बरसे रंग बाहर का, उमर- घूमर काली घटा, शोर मचाती है, स्वागत मे तेरे सावरा, जल बरसाती है, कोयलिया कुकटि, मयूरी झूमती, तुम्हारे बिना मुझको मोहन, बहारे फीकी लगती है, गिरधर मेरे मौसम आया, धरती के शृंगार का, डाल- डाल पर लग गये झूले, बरसे रंग …
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