रख लाज मेरी गणपति, अपनी शरण में लीजिए। कर आज मंगल गणपति, अपनी कृपा अब कीजिए॥ सिद्धि विनायक दुःख हरण, संताप हारी सुख करण। करूँ प्रार्थना मैं नित्त प्रति, वरदान मंगल दीजिए॥ तेरी दया, तेरी कृपा, हे नाथ हम मांगे सदा। तेरे ध्यान में खोवे मति, प्रणाम अब मम लीजिए॥ करते प्रथम तव वंदना, तेरा नाम है दुःख भंजना। करना …
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म्हारा कीर्तन मे रस बरसाओ
म्हारा कीर्तन मे रस बरसाओ, बरसाओ, आओ जी गजानन आओ । ॐ गण गणपतये नमो नमः श्री सिद्धिविनायक नमो नमः अष्टविनायक नमो नमः गणपती बाप्पा मोरया रणत भंवर से आओ जी गजानन, रिद्धि सिद्धि ने संग प्रभु लाओ । आओ जी गजानन आओ… पार्वती के पुत्र गजानन, भोले शंकर के मन भाओ । आओ जी गजानन आओ… हम सबके प्रभु …
Read More »गणपति गोरी जी के नंदन
गणपति गोरी जी के नंदन गणेश जी, मैं शरण तुम्हारी आया हूँ , मेरी रक्षा करो हमेश जी । सबसे पहले तुम्हे धयाऊँ , फिर देवों के दर्शन पाऊं । गज बदन मूसे की सवारी, गजब तुम्हारा भेस जी ॥ तुम हो रिद्धि-सिद्धि के दाता, तुम बिन ज्ञान कोई न पाता । हे गजानन विश्व विधाता, मन में करो प्रवेश …
Read More »हे दुःख भन्जन मारुती नंदन सुन लो मेरी पुकार (Maruti Nandan listen to my cry, O sorrow Bnjn)
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन, सुन लो मेरी पुकार | पवनसुत विनती बारम्बार || अष्ट सिद्धि नव निद्दी के दाता, दुखिओं के तुम भाग्यविदाता | सियाराम के काज सवारे, मेरा करो उधार || अपरम्पार है शक्ति तुम्हारी, तुम पर रीझे अवधबिहारी | भक्ति भाव से ध्याऊं तुम्हे, कर दुखों से पार || जपूं निरंतर नाम तिहरा, अब नहीं छोडूं तेरा …
Read More »पूजा में यंत्रों का महत्त्व क्यों ?
यंत्र का तात्पर्य चेतना अथवा सजगता को धारण करने का माध्यम या उपादान है । ये ज्यामितीय आकृतियों के होते हैं, जो त्रिभुज, अधोमुखी, त्रिभुज, वृत्त, वर्ग, पंचकोण, षटकोणीय आदि आकृतियों के होते हैं । मंडल का अर्थ वर्तुलाकर आकृति होता है, जो ब्रह्मंडीय शक्तियों से आवेशित होती है । यंत्र की नित्य पूजा उपासना और दर्शन से व्यक्ति को …
Read More »साधना में मनोयोग की महत्ता
वैताल ने बोला – राजन् ! उज्जयिनी में महासेन नामक एक राजा था । उसके राज्य में देवशर्मा नाम का एक ब्राह्मण रहता था । देवशर्मा का गुणाकार नाम का एक पुत्र था जो द्यूत, मद्य आदि का व्यसनी था । उस दुष्ट गुणाकर ने पिता सारा धन द्यूत आदि में नष्ट कर दिया । वह पृथ्वी पर इधर …
Read More »आंवले के वृक्ष की उत्पत्ति
पूर्वकाल में जब सारा जगत एकार्णव के जल में निमग्न हो गया था। समस्त प्राणी नष्ट हो गये थे, उस समय देवाधिदेव सनातन परमात्मा ब्रह्माजी अविनाशी परब्रह्म का जप करने लगे थे। ब्रह्मा का जप करते-करते उनके आगे श्वास निकला। साथ ही भगवान दर्शन के अनुरागवश उनके नेत्रों से जल निकल आया। प्रेम के आसुओं से परिपूर्ण वह जल की …
Read More »सिद्घिविनायक मंदिर, मुंबई
सिद्घिविनायक गणेश जी का सबसे लोकप्रिय रूप है। गणेश जी की जिन प्रतिमाओं की सूड़ दाईं तरह मुड़ी होती है, वे सिद्घपीठ से जुड़ी होती हैं और उनके मंदिर सिद्घिविनायक मंदिर कहलाते हैं। सिद्धि विनायक की महिमा अपरंपार है, वे भक्तों की मनोकामना को तुरंत पूरा करते हैं। मान्यता है कि ऐसे गणपति बहुत ही जल्दी प्रसन्न होते हैं और …
Read More »गाइये गणपति जगवंदन
गाइये गणपति जगवंदन | शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥ गाइये गणपति जगवंदन … सिद्धि सदन गजवदन विनायक | कृपा सिंधु सुंदर सब लायक॥ गाइये गणपति जगवंदन … मोदक प्रिय मुद मंगल दाता | विद्या बारिधि बुद्धि विधाता॥ गाइये गणपति जगवंदन … मांगत तुलसीदास कर जोरे | बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥ गाइये गणपति जगवंदन … wish4me In English Ganpati …
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