गुरु बिन कौन सम्हारे । को भव सागर पार उतारे ॥ टूटी फूटी नाव हमारी पहुँच न पाई तट पर । जैसे कोई प्यासा राही । भटक गया पनघट पर । पास खड़ा गुरु मुस्काता है । दोनों बाँह पसारे। वो भवसागर पार उतारे । गुरु बिन … मेरे राम मुझे शक्ति दो । मन में मेरे दृढ़ भक्ति दो …
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