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Tag Archives: Stories

मानव में भगवान्

रामचंद्र डोंगरेजी महाराज परम विरक्त व ब्रह्मनिष्ठ संत थे। उन्होंने अपने जीवन में सौ से अधिक कथाएँ सुनाई, पर दक्षिणा में एक पैसा भी स्वीकार नहीं किया। कथा के चढ़ावे के लिए आने वाला तमाम धन वे असहाय व अभावग्रस्तों के लिए भोजन की व्यवस्था और गरीब कन्याओं के विवाह के लिए भेंट कर देते थे। अन्नदान को वे सर्वोपरि …

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प्राणी में भगवान्

अफ्रीका के एक गाँव में जन्मे आगस्टाइन जन्मजात प्रतिभाशाली थे। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे अमेरिका की मिलान यूनिवर्सिटी में शिक्षक नियुक्त हुए। वे ‘खाओ-पीओ मौज करो’ के सिद्धांत में विश्वास रखते थे और असंयम व स्वेच्छाचारी जीवन बिताते थे। एक दिन वे ईसाई प्रचारक पादरी एंबोसे के सत्संग में गए। मनुष्य को असत्य, हिंसा, यौनाचार आदि का …

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सुखी दांपत्य का रहस्य

प्राचीनकाल में भी अंधविश्वासी लोग कार्यसिद्धि के लिए तंत्र-मंत्र का सहारा लेने से नहीं हिचकिचाते थे। शायद उस समय भी पति या पत्नी को वश में करने के लिए ऐसे उपायों का दावा किया जाता होगा। महाभारत में एक कथा आती है। एक बार श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा तथा द्रोपदी एकांत में बैठी बातें कर रही थीं। अचानक सत्यभामा ने …

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फांसी से वापसी

एक बार की बात है अकबर को उनकी रानी ने कहा की आप केवल अपने दरबार में बीरबल की तारीफ करते है। मानसिंह जो की मेरा भाई है वह भी तो उतना ही बुद्धिमान है लेकिन आप उसकी इतनी तारीफ नहीं करते। अकबर ने कहा की मानसिंह भी होशियार है लेकिन बीरबल सभी वजीर में से सबसे ज़्यादा बुद्धिमान है। …

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तप का रहस्य

स्वामी रामतीर्थ एक बार किसी तीर्थ में भ्रमण कर रहे थे। उन्होंने देखा कि एक साधुवेशधारी रेती पर बैठा हुआ है। उसके चारों ओर अग्नि प्रज्ज्वलित थी। उसके आस-पास देखने वालों की भारी भीड़ लगी थी। पूछने पर पता चला कि वह कोई तपस्वी बाबा हैं और वहाँ तप कर रहे हैं। इस पर स्वामीजी ने कहा, ‘तप एकांत में …

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परोपकाराय पुण्याय

राजगृह में धन्य नामक बुद्धिमान सेठ रहता था। उसकी पत्नी का निधन हो गया। उसकी चार पुत्रवधुएँ थीं-उज्झिका, भोगवती, रक्षिका और रोहिणी। सेठ ने सोचा कि क्यों न इन चारों बहुओं को परखकर किसी एक को घर का दायित्व सौंप दिया जाए। एक दिन उसने चारों बहुओं को पास बिठाया और कहा, तुम चारों को धान के पाँच-पाँच दाने देता …

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तेरा साईं तुझमें

एक बार एक विद्यालय में अध्यापक ने छात्रों की परीक्षा लेने के लिए प्रश्न किया, ‘बताओ ईश्वर कहाँ है?’ एक छात्र ने कहा, ‘गुरुदेव, भगवान् मंदिर में हैं। हम वहाँ उनके दर्शन करने जाते हैं। दूसरे छात्र ने कहा, ‘गिरिजाघर में। हम संडे को वहाँ जाकर प्रभु की प्रार्थना करते हैं।’ तीसरे ने कहा, ‘मसजिद में। हम वहाँ रोजाना नमाज …

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बुरा न देखो, न सुनो

वेद, पुराण, बाइबिल आदि सभी ग्रंथों में किसी की निंदा करने और सुनने तथा दोष दर्शन को वाणी, नेत्रों और कानों का पाप कहा गया है। बाइबिल में लिखा है, ‘जो बुराई सुनता है, किसी की निंदा करता है, वह व्यर्थ ही अपना शत्रु पैदा करता है। जो किसी की बुराई देखने को तत्पर रहता है, वह अपनी आँखों को …

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दान में अभिमान कैसा

ईसा के एक शिष्य को शेखी बघारने की आदत थी। एक दिन वह ईसा के दर्शन को पहुँचा और बोला, ‘आज मैं पाँच गरीबों को खाना खिलाकर आया हूँ। जब तक मैं किसी की सहायता न कर दूँ, मुझे चैन नहीं मिलता। बिना प्रार्थना किए मुझे नींद भी नहीं आती। ईसा उसे उपदेश देते हुए कहते हैं, ‘तुम्हारा आज का …

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वरदान भी, श्राप भी

प्रकृति और मानव मन-मस्तिष्क में अनूठी क्षमता होती है। यदि मनुष्य बुद्धि विवेक से काम ले, उचित-अनुचित का विचारकर प्रकृति का उपयोग करे, तो वह सदैव वरदान के रूप में कल्याणकारी होती है। सद्गुण-दुर्गुण प्रत्येक व्यक्ति की अंतःचेतना में विद्यमान रहते हैं। मिट्टी में उर्वरा शक्ति होती है। उसमें जैसा बीज बोया जाता है, वैसा ही फल उगता है। ईश्वर …

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