यह द्वापरयुग के उन दिनों की बात है, जब पांचों पांडव और कौरव पुत्र, गुरु द्रोणाचार्य से अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। उन दिनों पांडव धनुर्विद्या का ज्ञान प्राप्त कर रहे थे। एक दिन गुरु द्रोणाचार्य ने उनकी परीक्षा लेने का विचार किया। परीक्षा के लिए गुरुदेव ने पांचों पांडव – युद्धिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव के साथ-साथ …
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रामायण की कहानी: भगवान राम की मृत्यु!!
धरती पर भगवान राम ने अपने सारे काम कर लिए थे, अब उनकी मृत्यु का वक्त सामने आ गया था। ऐसे में यमराज ने एक साधू का रूप लिया और राम के नगर पहुंच गए। वो राम के महल पहुंचे और उनसे मिलने का वक्त तय किया। फिर वो श्री राम से मिलें और उन्होंने उनके बीच होने वाली बातों …
Read More »रामायण की कहानी: रावण के दस सिर का रहस्य!!
रावण के बारे में हर कोई जानता है। वह राक्षस वंश का था और उसके द्वारा की गई गलतियों के कारण हर साल दशहरे के दिन रावण दहन भी किया जाता है। वैसे क्या आपको मालूम है कि महान विद्वान और पंडित होने के साथ-साथ रावण भगवान शिव का परम भक्त भी था। एक बार की बात है, रावण ने …
Read More »रामायण की कहानी: क्या सीता मंदोदरी की बेटी थी?!!
माता सीता के जन्म को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। कोई कुछ कहानी सुनता है, तो कोई कुछ। इसलिए, साफ-साफ कहना मुश्किल है कि सीता की माता कौन थी। सीता के जन्म से जुड़ी हम ऐसी ही एक प्रचलित कहानी सुना रहे हैं। एक बार लंकापति रावण के तप से खुश होकर भगवान ब्रह्मा उसे वरदान मांगने को कहते हैं। …
Read More »रामायण की कहानी: रामसेतु में गिलहरी का योगदान!!
माता सीता का हरण होने के बाद, भगवान राम को लंका तक पहुंचने के लिए उनकी वानर सेना जंगल को लंका से जोड़ने के लिए समुद्र के ऊपर पुल बनाने के काम में लग जाती है। पुल बनाने के लिए पत्थर पर भगवान श्रीराम का नाम लिखकर पूरी सेना समुद्र में पत्थर डालती है। भगवान राम का नाम लिखे जाने …
Read More »परीक्षित के जन्म की कहानी!!
परीक्षित के जन्म की कथा महाभारत के युद्ध के समय की है। जब द्रौपदी को इस बात की जानकारी मिली कि अश्वत्थामा ने उसके पांचों बेटों की हत्या कर दी है तो उसने अनशन करने की ठान ली। द्रौपदी ने प्रण लिया कि वह अपना अनशन तभी तोड़ेगी जब तक कि अश्वत्थामा के सिर पर लगी मणि उसे नहीं मिल …
Read More »परशुराम ने कर्ण को श्राप दिया!!
कर्ण द्वापर युग के महान योद्धा में से एक थे, लेकिन उनको मिला श्राप उनकी मौत का कारण बन गया। कर्ण को उनके जीवन काल में दो श्राप मिले थे। उन्हें पहला श्राप उनके गुरु भगवान परशुराम ने दिया था, जबकि दूसरा श्राप एक ब्राह्मण ने दिया था। कर्ण को बचपन से ही धनुर्धर बनने की चाहता थी, लेकिन सूत …
Read More »महाभारत की कहानी: भक्त ध्रुव की कथा!!
एक बार की बात है, राजा उत्तानपाद थे और उनकी दो रानियां थीं। एक रानी का नाम सुनीति और दूसरी रानी का नाम सुरुचि था। सुनीति बड़ी रानी और सुरुचि छोटी रानी थी। रानी सुनीति के पुत्र का नाम ध्रुव और रानी सुरुचि के पुत्र का नाम उत्तम था। राजा उत्तानपाद का रूझान छोटी रानी सुरुचि के तरफ ज्यादा था, …
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अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियों और उनसे होने वाले चार पुत्रों राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन भगवान राम की बड़ी बहन के बारे में हर किसी को नहीं पता। वाल्मीकि रामायण में भी राम की बहन शांता के बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन दक्षिण पुराण में भगवान राम की बहन …
Read More »सत्य, शील और विद्या
एक बार आचार्य चाणक्य से किसी ने प्रश्न किया, ‘मानव को स्वर्ग प्राप्ति के लिए क्या-क्या उपाय करने चाहिए?’ चाणक्य ने संक्षेप में उत्तर दिया, ‘जिसकी पत्नी और पुत्र आज्ञाकारी हों, सद्गुणी हों तथा अपनी उपलब्ध संपत्ति पर संतोष करते हों, वह स्वर्ग में नहीं, तो और कहाँ वास करता है! आचार्य चाणक्य सत्य, शील और विद्या को लोक-परलोक के …
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