समदर्शिता भगवान श्रीकृष्ण समदर्शी थे, और उनकी समदर्शिता की सीमा में केवल मनुष्य – समाज ही आता हो, सो बात नहीं, पशु – पक्षी, लता – वृक्ष आदि सभी के लिए उसमें स्थान था । उन्होंने गौओं की सेवा कर पशुओं में भी भगवान का वास दिखलाया । कदंब आदि वृक्षों के तले वन में विहार कर, उभ्दिज्ज – जगत …
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चाणक्य नीति : द्वितीय अध्याय (Chanakya Niti: Chapter two)
1. झूठ बोलना, कठोरता, छल करना, बेवकूफी करना, लालच, अपवित्रता और निर्दयता ये औरतो के कुछ नैसर्गिक दुर्गुण है। 2.भोजन के योग्य पदार्थ और भोजन करने की क्षमता, सुन्दर स्त्री और उसे भोगने के लिए काम शक्ति, पर्याप्त धनराशी तथा दान देने की भावना – ऐसे संयोगों का होना सामान्य तप का फल नहीं है। ३. उस व्यक्ति ने धरती पर ही …
Read More »बाबा कुण्डलपुर वाले की भक्ति करो झूम झूम के
बाबा कुण्डलपुर वाले की भक्ति करो झूम झूम के झूम झूम के, घूम घूम के, घूम घूम के, झूम झूम के विद्यासागर छोटे बाबा की भक्ति करो झूम झूम के बाबा कुण्डलपुर वाले की… कुण्डलपुर की सुन्दर पहड़िया पहड़िया पे है सुन्दर अटरिया झूम झूम के, घूम घूम के, जहा विराजे बड़े बाबा, भक्ति करो झूम झूम के बाबा कुण्डलपुर …
Read More »साईं का दीवाना मन हमारा
जय जय साई जय जय साई, तेरी महिमा अति सुख दाई। राम तुम्ही हो साईं, श्याम तुम्ही हो, साईं चारो धाम तुम्ही हो। तेरी लीला न्यारी साईं, तेरी झाकी अति सुन्दर साईं। जय जय साई जय जय साई, तेरी महिमा अति सुख दाई। जय साईं राम … साईं का दीवाना मनन हमारा wish4me to English jay jay saee jay jay …
Read More »भगवन्नाम समस्त पापों को भस्म कर देता है
कन्नौज के आचारच्युत एवं जातिच्युत ब्राह्मण अजामिल ने कुलटा दासी को पत्नी बना लिया था । न्याय – अन्याय से जैसे भी धन मिले, वैसे प्राप्त करना और उस दासी को संतुष्ट करना ही उसका काम हो गया था । माता पिता की सेवा और अपनी विवाहिता साध्वी पत्नी का पालन भी कर्तव्य है, यह बात उसे सर्वथा भूल चुकू …
Read More »सुंदरकांड का धार्मिक महत्त्व क्यों ?
सुंदर कांड वास्तव में हनुमान जी का कांड है । हनुमान जी का एक नाम सुंदर भी है । सुंदर कांड के लिए कहा गया है – सुंदरे सुंदरे राम: सुंदरे सुंदरीकथा । सुंदरे सुंदरे सीता सुंदरे किम् न सुंदरम् ।। सुंदर कांड में मुख्य मूर्ति श्री हनुमान जी की ही रखी जानी चाहिए । इतना अवश्य ध्यान में रखना …
Read More »वेदमालिको भगवत्प्राप्ति
प्राचीन काल की बात है । रैवत – मंवतर में वेदमालि नाम से प्रसिद्ध एक ब्राह्मण रहते थे, जो वेदों और वेदांगों के पारदर्शी विद्वान थे । उनके मन में संपूर्ण प्राणियों के प्रति दया भरी हुई थी । वे सदा भगवान की पूजा में लगे रहते थे, किंतु आगे चलकर वे स्त्री, पुत्र और मित्रों के लिए धनोपार्जन करने …
Read More »चक्रिक भील
अर्थात् ‘ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र और जो अन्य अन्त्यज लोग हैं, वे भी हरिभक्तिद्वारा भगवान की शरण होने से कृतार्थ हो जाते हैं, इसमें संशय नहीं है । यदि ब्राह्मण भी भगवान के विमुख हो तो उसे चाण्डाल से अधिक समझना चाहिए और यदि चाण्डाल भी भगवान का भक्त हो तो उसे भी ब्राह्मण से अधिक समझना चाहिये ।’ द्वापरयु …
Read More »गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या की कहानी
रामायण में वर्णित कथा के अनुसार राम और लक्ष्मण ऋषि विश्वामित्र के साथ मिथिलापुरी के वन उपवन आदि देखने के लिये निकले तो उन्होंने एक उपवन में एक निर्जन स्थान देखा। राम बोले, “भगवन! यह स्थान देखने में तो आश्रम जैसा दिखाई देता है किन्तु क्या कारण है कि यहाँ कोई ऋषि या मुनि दिखाई नहीं देते?” विश्वामित्र जी ने …
Read More »बतला दे सखी, बतला दे मुझे
घन श्याम सुंदर गयी कौन गली…..||बतला|| भगा डोंड भागीज़ा डोण्दया ..2 पूल के डोंडी काली लाली …..||बतला|| मथुरा दूँदी गोकुल दूँदा ..2 वृंदावन की डुँड़ी गॅली …..||बतला|| राधा दूँदी रुकमणी दूँदी ..2 कुबजा की डुँड़ी गॅली गॅली …..||बतला|| मीयर्रा कही प्रभु गिरिधर नगर कृष्णा को दूँदा गॅली गॅली …..||बतला|| [To English wish4me] Ghan Shyam Sundar gayee kaun gali…..||batla|| Bhaga dond …
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