नर देहि पायी चित्त चरण कमल दीजै,दीन बचन संतन संग दरस परस कीजै|| लीला गुण अमृत रस श्रवणन पुट पीजै,सुन्दर सुख निरख ध्यान नैन माहि लीजै|| गदगद सुर पुलक रोम अंग प्रेम भीजै,सूरदास गिरिधर जस गाये गाये जीजै|| नर देहि पायी चित्त चरण कमल दीजै,दीन बचन संतन संग दरस परस कीजै|| लीला गुण अमृत रस श्रवणन पुट पीजै,सुन्दर सुख निरख …
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